निजी क्षेत्र की वकालत
अतरिक्ष क्षेत्र के विकास में अवरोध बने नियंत्रणों को हटाने की जरूरत पर बल देते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अध्यक्ष एस. सोमनाथ (S. Somnath) ने कहा है कि नियंत्रण, जो अनावश्यक हैं, हटाए जाने से देश अंतरिक्ष क्षेत्र में संभावनाओं का अच्छे से दोहन कर सकेगा।
निजी क्षेत्र की वकालत |
इसरो अध्यक्ष ने भारत में प्रथम रॉकेट प्रक्षेपण की 60वीं वषर्गांठ के अवसर पर शनिवार को तिरुवनंतपुरम में आयोजित समारोह के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने ध्यान दिलाया कि इसरो में निजी क्षेत्र की भूमिका तलाशी जाने के बाद से इस क्षेत्र में खासी उपलब्धि हासिल हुई हैं, और तमाम संभावनाएं दिखलाई पड़ रही हैं। भारत की उपग्रह विनिर्माण क्षमताओं में खासा इजाफा हुआ है।
अभी पांच भारतीय कंपनियां उपग्रह विनिर्माण करने में सक्षम हैं, और उनमें से तीन ने अपने उपग्रहों का विनिर्माण और विदेशों से सफल प्रक्षेपण किया है। यदि भारत में बेवजह के नियंत्रण हटा दिए जाएं तो आने वाले समय में भारतीय कंपनियों को विदेश से अपने उपग्रह प्रक्षेपित करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। इसरों को लाभार्जन के मौके भी मिलेंगे और निजी क्षेत्र से ज्यादा पूंजी और अनुबंधी सहयोग बढ़ सकेगा। अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की आमद से इस क्षेत्र का उल्लेखनीय विकास हो सकेगा।
गौरतलब है कि हाल तक उपग्रहों, प्रक्षेपण यान और संबद्ध प्रौद्योगिकियों का विकास और उत्पादन इसरो करता था, लेकिन जब से निजी क्षेत्र पर इस लिहाज से ध्यान दिया गया है, तब से भारत की उपग्रह विनिर्माण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन का ही नतीजा है कि आज भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में 130 से ज्यादा स्टार्टअप कार्यरत हैं, और इनमें से कुछ तो ऐसे हैं, जिनमें 400 से 500 से ज्यादा पेशेवरों को काम मिला है।
इन स्टार्टअप्स का कारोबार पांच सौ करोड़ से एक हजार करोड़ रुपए तक है। स्थिति यह हो चली है कि निजी क्षेत्र के खिलाड़ी वेतनादि के मामले में इसरो को भी पीछे छोड़ चुके हैं, और इसरो से ज्यादा बेहतर सुविधाएं अपने पेशेवरों को दे रहे हैं। इसरो से सेवानिवृत्त होने वाले विशेषज्ञ अपने अनुभव से अंतरिक्ष क्षेत्र में नवोन्मेष और शोध का ऐसा माहौल तैयार कर देंगे जिससे समग्र रूप में देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर जा पहुंचने में मदद मिलेगी।
सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि अंतरिक्ष क्षेत्र को कारोबारी पुट मिलेगा और भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुसंधान एवं विकास के उत्कृष्ट केंद्र में रूप में उभर सकेगा।
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