पीएम मोदी की विपक्ष को नसीहत
संसद के सुरोध चलने देने के लिए सरकार का विपक्ष से सहयोग मानना एक रवायत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के अनुरोध-आग्रह को इसी कड़ी में माना जा सकता है लेकिन विपक्ष से सहयोग मांगने की शब्दावली पर गौर करें तो उसमें चुटकी और चेतावनी, दोनों हैं।
विपक्ष को नसीहत |
विधानसभा चुनावों में मिली चोटों पर व्यंग्य के नमक छिड़कते हुए वह विपक्ष को जनता के कटघरे में खड़े किए जाने का भय भी दिखाते हैं। मतलब कि विपक्ष ने हंगामे करके सदन बाधित किया तो जनता की नजरों में कमतर हो जाएगा। मोदी यह काम लोकतांत्रिक आवरण में करते हैं।
यह जताते हुए कि भाजपा सरकार पर जनता की जो जवाबदेही है, उसे वह पूरी निष्ठा से निभा रही है, विधानसभा चुनाव के ताजा ‘उत्साहवर्धक परिणाम’ इसी का नतीजा हैं। यह सब कांग्रेस को डिफेंसिव मोड में रखने के लिए काफी है। इस वातावरण में सरकार संसद में कोई 12 विधेयक पेश करने जा रही है, जिनमें तीन तो काफी अहम हैं।
हर सरकार की संसद से यही सामान्य अपेक्षा होती है कि उसके विधेयक शांत माहौल में सामान्य चर्चा के बीच पारित हो जाएं पर विपक्ष का काम विधेयकों को अपने लोकतांत्रिक-आलोचनात्मक हस्तक्षेप के जरिए उन्हें त्रुटिहीन बनाने के लिए सरकार को मजबूर करने, उन्हें जनोपयोगी व वैधानिक बनाने का होता है।
अब देखना होगा कि यह करने के लिए विपक्ष अपनी पैनी और धारदार बहसों से ‘मोदी-प्रभाव’ को तार-तार करने के लिए कितना तैयार है। यह सच होने के बावजूद कि मोदी ने केवल कांग्रेस को बुरी तरह पराजित किया है बल्कि उसके अघोषित नेतृत्व वाले गठबंधन ‘इंडिया’ को भी ढीला-ढाला कर दिया है।
उसके नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसे नेताओं के तेवरों में कांग्रेस के विरुद्ध एक ललकार है, जो नेतृत्व और कथित एका के खंभे को हिला रही है। इस तरह कि आज होने वाली ‘इंडिया’ की चौथी बैठक को कोरम पूरा न होते देख स्थगित करना पड़ा है। यह कब होगी, तय नहीं है।
जाहिर है, विपक्ष के समवेत उत्साह पर पानी फिरा हुआ है, उसमें बिखराव है। ऐसे में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, मुख्य निर्वाचन आयुक्त जैसे अन्य विधयेकों के साथ न्याय नहीं हो पाएगा।
तमिलनाडु की द्रमुक सरकार को भारतीय न्याय संहिता से विरोध है। जाहिर है कि इन मसलों पर तर्कपूर्ण बहस की देश हित में दरकार है। इस दायित्व को विपक्ष पूरे दमखम से निभाए।
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