Israel-Gaza War : युद्ध नहीं अब शांति
इस्राइल और फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के बीच युद्ध शुरू हुए दो सप्ताह से ज्यादा हो गए हैं। दोनों तरफ से हुए हमलों में अब तक छह हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
युद्ध नहीं अब शांति |
अमेरिका और पश्चिमी देशों के नेता हमास द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए हमले के बाद इस्राइल के साथ हमदर्दी और एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए तेल अवीव के दौरे कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के दौरों के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मंगलवार को इस्राइल पहुंचे। मैक्रों ने कहा कि यह युद्ध आतंकवाद के खिलाफ है और हमास को हराने के लिए अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की जरूरत है।
इस तरह उन्होंने इस युद्ध को जायज ठहराते हुए इस्राइल का समर्थन किया। अमेरिका और पश्चिमी देशों के नेताओं के बयानों से संकेत मिलता है कि युद्ध लंबा चल सकता है। इसकी पुष्टि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से भी होती है जिसमें उन्होंने कहा है कि हमास पहले इस्राइल और पश्चिमी देशों के बंधक नागरिकों को रिहा करे, उसके बाद ही युद्ध विराम और शांति प्रक्रिया बहाल करने पर विचार किया जाएगा। अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के नेता जिस तरह व्यक्तिगत जोखिम उठाते हुए युद्धरत इस्राइल का दौरा कर रहे हैं, उससे जाहिर हो रहा है कि हमास के इस्राइल पर हमलों से पैदा हुए संकट पर सभी चिंतित हैं।
गाजा पट्टी में 25 लाख नागरिक फंसे हुए हैं, और इस्राइली नाकेबंदी के बाद भोजन, पानी, बिजली, दवाइयां और रोजमर्रा की अन्य वस्तुओं की किल्लत हो गई है। बाइडन की इस्राइल यात्रा के दौरान उम्मीद जगी थी कि संकट का कोई सर्वमान्य हल निकल जाएगा क्योंकि जोर्डन में उनकी मुलाकात फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी के साथ होने वाली थी।
लेकिन गाजा के अल-अहली अल-अरबी अस्तपाल में हुए विस्फोट के बाद हालात और संकटपूर्ण हो गए और यह बैठक रद्द हो गई। कहा जा रहा है कि फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने बाइडन से मुलाकात करने से मना कर दिया। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोर्डन के शासक शाह अब्दुल्ला से फोन पर युद्धरत पक्षों से संघर्ष रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को भी चाहिए कि युद्ध विराम की पहल करे। दो और बंधकों की रिहाई से उम्मीद बढ़ गई है कि हमास सभी बंधकों की रिहाई करने की योजना बना रहा है। ऐसा हुआ तो युद्ध विराम का रास्ता खुल सकता है।
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