राजस्थान : जाति का दांव

Last Updated 11 Oct 2023 01:39:48 PM IST

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने राज्य में जाति सर्वेक्षण कराने की घोषणा करके एक बड़ा राजनीतिक दांव चल दिया है।


राजस्थान : जाति का दांव

चुनाव आयोग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। राजस्थान सहित इन सभी राज्यों की विधानसभा चुनावों में जाति सव्रेक्षण विमर्श का एक बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस जाति सव्रेक्षण और पिछड़ों की हिस्सेदारी के मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने जा रही है।

बिहार की नीतीश सरकार द्वारा जाति सव्रेक्षण के आंकड़े जारी करने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मसले पर ज्यादा मुखर हो गए हैं। वह संसद से सड़क तक जातिवार जनगणना और पिछड़ों के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी का एजेंडा सेट कर दिया है और राहुल गांधी के फैसले को ही राजस्थान की गहलोत सरकार जमीन पर उतारने की दिशा में आगे बढ़ रही है। कांग्रेस की राजनीति में यह बड़ा बदलाव आया है।

अपनी स्थापना काल से ही यह पार्टी समाज के सभी वगरे और जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती आई है, लेकिन यह विमर्श का मुद्दा हो सकता है कि आखिर क्यों वह मुलायम सिंह और लालू यादव की तरह पिछड़ों को अपनी राजनीति का धुरी बनाना चाहती है। मध्य प्रदेश में भी प्रियंका गांधी ने सत्ता में आने पर जाति सव्रेक्षण कराने की घोषणा की है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अब पूरी तरह आस्त हो गई है कि अगड़ों का एक बड़ा वर्ग उससे छिटक गया है।

बिहार सरकार द्वारा जारी जाति सव्रेक्षण में पिछड़ों की आबादी 63 फीसद है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों की जातिवार आबादी भी इसी के आस-पास होगी। जाहिर है कि सत्ता की चाबी इन्हीं के पास है। वास्तविकता यह है कि कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में जीत का मंत्र मानकर समर्थन कर रही है, जबकि भाजपा इसे समाज को बांटने वाला बता रही है, लेकिन भारत की चुनावी राजनीति की सच्चाई यही है कि यहां चुनाव राजनीतिक पार्टियां और व्यक्ति नहीं, जातियां लड़ती हैं।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment