आमजन को बड़ी राहत
दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीजों और उनके परिजनों को सरकार ने बड़ी राहत दी।
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केंद्र सरकार ने दुर्लभ बीमारियों को लेकर इलाज में शामिल दवाओं और विशेष खाद्य सामग्री पर सीमा शुल्क खत्म करने की अधिसूचना बृहस्पतिवार को जारी की। इसके अलावा सरकार ने कैंसर इलाज में शामिल पेमब्रालीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है। खास बात यह है कि सरकार ने दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ बीमारियों को इसमें शामिल किया है।
हालांकि इस छूट को पाने के लिए राज्य स्वास्थ्य निदेशक या फिर जिला चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। वैसे अगर प्रमाण पत्र प्राप्त करने के नियम को ज्यादा आसान और सहज बनाया जाए तो पीड़ितों को थोड़ी और राहत मिल सकेगी। फिर भी सरकार का यह कदम प्रशंसनीय कहा जाएगा क्योंकि कई दवाएं अभी भी ऐसी हैं जिन पर 10 फीसद तक शुल्क लगता है।
दरअसल, काफी समय से अन्य दुर्लभ बीमारियों को लेकर भी सरकार को पीड़ित परिवारों के पत्र मिल रहे थे, इसी आधार पर फैसला किया गया। वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कुछ दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्ची के इलाज में प्रयोग होने वाली आयातित दवा को सीमा शुल्क से छूट प्रदान करने के बाबत पत्र लिखा था। यह बात जगजाहिर है कि देश में दुर्लभ बीमारियों का उपचार काफी महंगा है, जिसके चलते सामान्य परिवार भी आर्थिक तौर पर परेशान हो जाते हैं और अनाप-शनाप इलाज कराने लगते हैं।
इससे पहले सरकार ने राष्ट्रीय नीति के तहत दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त रोगियों की मदद के लिए 50 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। ज्ञातव्य है कि देश में 450 दुर्लभ बीमारियों के करीब सात करोड़ मरीज हैं। निश्चित तौर पर सरकार के इस फैसले से काफी लोगों को सुकून का अहसास होगा।
देश में वैसे भी इलाज किस कदर महंगा है, यह हर कोई जानता है। आमजन में दवा और उसके कंपोजिशन का ज्ञान नहीं होने के चलते कई बार कम कीमत वाली दवा भी दुकानदार महंगा बेचते हैं। अलबत्ता, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खुल जाने की वजह से ज्यादातर लोगों को अब दवा काफी कम कीमतों पर उपलब्ध हैं। सरकार को यह प्रयास भी करना चाहिए कि दवा के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में भी बेहतर इलाज मिल सके।
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