जीवन का आधार
स्वच्छ पेयजल की भीषण कमी और साफ-सफाई के बुनियादी ढांचे का अभाव आज दुनिया की कड़वी सच्चाई है।
जीवन का आधार |
हाल में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इंगित किया गया है कि दुनिया भर में लाखों लोग जरूरत भर के पर्याप्त स्वच्छ पानी का अभाव झेल रहे हैं और उनके पास साफ-सफाई का ऐसा ढांचा नहीं है, जो उनके घरों से गंदगी एवं कचरे को दूर करके उन्हें स्वस्थ रहने में मदद करे। ये दोनों अभाव दुनिया भर में लाखों मौतों का कारण बन रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में जारी रिपोर्ट में दुनिया से वैश्विक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जल संबंधी मुद्दों पर जरूरी संवाद करने और उन्हें गंभीरता से लेने की बात पर जोर दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार जल संबंधी बुनियादी सेवाओं तक पहुंच की कमी ग्लोबल वार्मिग के दौर में भी वैश्विक स्तर पर बाढ़, सूखे और अन्य आपदाओं की तुलना में अधिक लोगों की जान लेती है। जल सम्मेलन में अपने जल क्षेत्र में सुधार के लिए भारत की प्रशंसा की गई और नमामि गंगे मिशन को आशा की किरण बताया गया। अंतरराष्ट्रीय जल मामलों के नीदरलैंड के विशेष दूत हेंक ओविंक ने कहा कि गंगा नदी प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण नदी है एवं अहम संसाधनों से निपटने के तरीके का महत्त्व समझने में हमारी मदद करती है।
गंगा यह भी दिखाती है कि समाज के संदर्भ में पानी कितना संवेदनशील हो सकता है। यदि हम उस नदी और उसके संसाधनों में निवेश करते हैं, तभी लंबे वक्त तक टिके रह सकते हैं। ओविंक के अनुसार नमामि गंगे मिशन प्रेरक कहानी है कि ऐसे समय, जब विश्व जल संकट की चुनौतियों का सामना कर रहा है, में कैसे रास्ता दिखाया जाए।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भारत के जल क्षेत्र में 240 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करने और दुनिया में सबसे बड़े बांध पुनर्वास कार्यक्रम को लागू करने के साथ ही भूजल स्तर को बढ़ाने के प्रयास की प्रतिबद्धता जताई। यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि दुनिया में गंभीर जल संकट के बीच भारत स्वच्छता और पेयजल तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए दो प्रमुख मिशन लागू कर रहा है।
भूजल स्तर बढ़ाने और ग्रामीण जल सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से मांग और आपूर्ति पक्ष को साथ लाने की दिशा में काम कर रहा है। मौसमी अनिश्चितताओं के समय में यह जनमानस के लिए बड़ा सहारा है।
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