देश की छवि न बिगाडें
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने बिना नाम लिये कांग्रेस को और कई अन्य को निशाने पर लिया है।
देश की छवि न बिगाडें |
उन्होंने कहा कि ‘समय-समय पर देश के अंदर और बाहर दोनों तरफ से दुनिया को यह बताने के सोचे-समझे प्रयास किए जा रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका और लोकतंत्र संकट में है। ज्ञात हो कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने विदेशी दौरे के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत का लोकतंत्र संकट में है। रिजीजू पूर्वी राज्यों में केंद्र के वकीलों के एक सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। रिजिजू ने ठीक ही कहा कि न्यायाधीशों का ज्ञान सार्वजनिक जांच से परे है।
भारतीय न्यायपालिका पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। विशेष रूप से न्यायाधीशों के ज्ञान को सार्वजनिक जांच के दायरे में नहीं रखा जा सकता। इसके बावजूद समय-समय पर देश के अंदर और बाहर से कुछ समूहों द्वारा देश की छवि खराब करने की जानबूझकर कोशिश की जा रही है। अमेरिका सबसे पुराना लोकतंत्र होने का दावा कर सकता है, लेकिन भारत वास्तव में लोकतंत्र की जननी है।
केंद्रीय मंत्री की यह टिप्पणी राहुल गांधी द्वारा कैंब्रिज विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान में यह आरोप लगाने के बाद आई है कि उनकी व कई अन्य नेताओं की निगरानी की जा रही है। इसके जरिए भारतीय लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि कि भारत में लोकतंत्र पर सीधा प्रहार हो रहा है। यहां मीडिया और न्यायपालिका पर कब्जा हो गया है। विपक्षी नेताओं पर केस किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यकों, आदिवासियों पर हमले हो रहे हैं।
रिजीजू की आपत्ति को महज सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। विपक्षी पार्टियों के नेता भी जब विदेश दौरे पर जाते हैं तो उन्हें भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके किस वक्तव्य का भारत विरोधी शक्तियां दुरुपयोग कर सकती हैं। उनके आचार, व्यवहार और बयानों पर दुनिया भर की नजर टिकी रहती है। भारत से बाहर के देश तो ऐसा मौका ढूंढते ही रहते हैं। विपक्ष के नेताओं को ऐसे देशों और लोगों को भांपना और समझना चाहिए। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि न्यायपालिका ने अनेक चुनौतियों का सामना किया है।
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