Ranji Trophy Final 2025: विदर्भ ने तीसरी बार जीता रणजी ट्रॉफी का खिताब
इस सत्र में घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाली विदर्भ की टीम ने रविवार को अपने घरेलू मैदान पर खेले गए फाइनल के पांचवें और अंतिम दिन केरल को पहली पारी की बढ़त के आधार पर हराकर तीसरा रणजी ट्रॉफी खिताब जीत लिया।
![]() नागपुर : केरल पर बढ़त के आधार पर जीत के बाद तीसरी बार रणजी चैंपियन बनने पर ट्रॉफी के साथ जश्न मनाते विदर्भ के खिलाड़ी। |
हालांकि इस मुकाबले का नतीजा तीसरे दिन ही तय हो गया था जब विदर्भ ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 379 रन बनाने के बाद केरल को 342 रन पर समेटकर पहली पारी में 37 रन की मामूली बढ़त हासिल कर ली थी।
पहली बार फाइनल में पहुंची केरल की टीम ने भी कड़ी टक्कर दी, लेकिन विदर्भ को पूरे सत्र में अपनी कड़ी मेहनत और अनुशासन का फल मिला। इस दौरान उन्होंने सिर्फ रणजी ट्रॉफी ही नहीं जीती बल्कि टीम 50 ओवर की विजय हजारे ट्रॉफी में उपविजेता भी रही। विदर्भ ने तीसरी बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता है। इससे पहले 2017-18 और 2018-19 सत्र में लगातार दो खिताब जीते थे। विदर्भ की यह जीत अब उन्हें भारतीय घरेलू क्रिकेट में सबसे मजबूत टीमों में से एक बनाती है क्योंकि वह पिछले रणजी सत्र में उपविजेता रही थी।
अक्षय वाडकर की कप्तानी और मुख्य कोच उस्मान गनी की अगुआई वाली टीम ने पूरे रणजी ट्रॉफी सत्र में प्रभावशाली प्रदर्शन किया। विदर्भ लीग चरण में सभी चार ग्रुप में सर्वश्रेष्ठ टीम रही, जिसने सात मैच में से छह जीत के साथ 40 अंक हासिल किए। वहीं केरल को किस्मत का साथ मिला जिसने नॉकआउट में जम्मू और कश्मीर (क्वार्टर फाइनल) और गुजरात (सेमीफाइनल) को मामूली अंतर से हराकर पहली पारी की बढ़त के आधार पर फाइनल तक का सफर तय किया। लेकिन विदर्भ ने जीत के जरिए फाइनल में जगह बनाई। विदर्भ ने क्वार्टर फाइनल में पिछले साल सेमीफाइनल में पहुंची तमिलनाडु को 198 रन से रौंदा और सेमीफाइनल में पिछले चैंपियन मुंबई को 80 रन से पराजित किया।
विदर्भ ने इस सत्र में रणजी ट्रॉफी में खेले गए 10 मैच में से नौ में जीत हासिल की जो भारत की प्रमुख घरेलू प्रतियोगिता में टीम के प्रभुत्व को दर्शाता है। रविवार को भी विदर्भ ने योजना के अनुसार खेल दिखाया और करुण नायर के 135 (295 गेंद, 10 चौके, दो छक्के) रन की मदद से नौ विकेट पर 375 रन बनाए जिसमें दानिश मालेवार ने 73 रन का योगदान दिया और दर्शन नालकंडे ने नाबाद 51 रन बनाए। विदर्भ ने अंतिम दिन के खेल पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण रखा। उसने दिन की शुरुआत 286 रन की बढ़त से की थी।
नायर भले ही रात के स्कोर में केवल तीन रन ही जोड़ पाए लेकिन विदर्भ ने लगभग चाय के ब्रेक के करीब तक बल्लेबाजी की और नौ विकेट पर 375 रन बनाए जिससे टीम की कुल बढ़त 412 रन हो गई जो सचिन बेबी की टीम की पहुंच से कहीं ज्यादा थी। विदर्भ ने यह जीत अपने हरफनमौला प्रदर्शन के दम पर हासिल की जिसमें दो सबसे युवा खिलाड़ियों ने मैदान पर अपनी टीम के प्रदर्शन की कमान संभाली। 22 वर्षीय बाएं हाथ के स्पिनर हर्ष दुबे ने रणजी ट्रॉफी के एक सत्र में 69 खिलाड़ियों को आउट कर सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया जो बिहार के आशुतोष अमन के 68 विकेट के पिछले रिकॉर्ड से बेहतर रहा।
दुबे ने भारत के दिग्गज खिलाड़ी रविचंद्रन अिन के बल्लेबाजी गुर का पूरा फायदा उठाया और 10 मैच में पांच अर्धशतकों के साथ 476 रन बनाए। बाएं हाथ के बल्लेबाज यश राठौड़ (24 वषर्) ने 10 मैचों में पांच शतकों और तीन अर्धशतकों की मदद से 53.33 के औसत से 960 रन बनाकर बल्लेबाजों की सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया जिसमें उनके कई साथी भी शामिल हैं। इस सत्र में विदर्भ में शामिल हुए अनुभवी नायर ने सिर्फ विजय हजारे ट्रॉफी में पांच शतकों के साथ ही टीम का नेतृत्व नहीं किया बल्कि रणजी ट्रॉफी में चौथे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी भी रहे, उन्होंने नौ मैच में 53.93 के औसत से चार शतकों और दो अर्धशतकों की मदद से 863 रन बनाए। फाइनल में नायर ने 86 और 135 रन की पारी खेली।
वहीं 21 वर्षीय मालेवार दो शतकों और छह अर्धशतकों की मदद से 52.20 के औसत से 783 रन बनाकर पांचवें स्थान पर रहे, उन्होंने फाइनल में 153 और 73 रन बनाए। नायर और मालेवार फाइनल में विदर्भ की जीत के सूत्रधार रहे, उन्होंने दोनों पारियों में 215 और 183 रन की साझेदारी निभाई और अपनी टीम को दोनों पारियों में मुश्किल हालात से बाहर निकाला। कप्तान वाडकर भी पीछे नहीं रहे, वह 10 मैच में 45.12 के औसत से दो शतक और इतने ही अर्धशतकों के साथ 722 रन बनाकर सातवें स्थान पर रहे। मैच के बाद वाडकर ने कहा, ‘सभी ने पूरे मैच में कड़ी मेहनत की और हम सभी बहुत खुश हैं। पिछले साल हम फाइनल हार गए थे। इसलिए हमने मानसून के दौरान ही तैयारी की। हर खिलाड़ी ने खुद पर काम किया।’
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