जातीय संघर्ष के लिए अमेरिका ने श्रीलंका को
Last Updated 25 Apr 2009 12:34:58 PM IST
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वाशिंगटन। अमेरिका ने कड़ा रुख अपनाते हुए श्रीलंका और लिट्टे से तत्काल युद्ध खत्म करने को कहा तथा कोलंबो को चेताया कि यदि जातीय संघर्ष के सैन्य समाधान के लिए वह अपने वर्तमान प्रयास जारी रखता है तो उसकी एकता और सुलह सफाई की संभावना खतरे में पड़ सकती है।
बीस जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में बराक ओबामा द्वारा पदभार संभाले जाने के बाद श्रीलंका के मुद्दे पर अमेरिका ने अपने पहले बयान में कहा कि वह दोनों पक्षों की तरफ से हो रहे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन को अत्यधिक गंभीरता से ले रहा है।
व्हाइट हाउस ने कहा यदि वर्तमान स्थिति जारी रहती है तो इससे माहौल और खराब होगा क्योंकि सैन्य कार्रवाई के जरिए संघर्ष का खात्मा सिर्फ दुश्मनी बढ़ाने का काम करेगा और इससे सुलह सफाई तथा भविष्य में एकीकृत श्रीलंका की उम्मीदें खत्म होंगी।
बयान में कहा गया कि श्रीलंका की सेना और तमिल विद्रोहियों के बीच संघर्ष में फंसे निर्दोष लोगों की स्थिति को लेकर अमेरिका अत्यधिक चिंतित है।
अमेरिका ने कहा हम दोनों पक्षों से लड़ाई तत्काल रोकने और नागरिकों को संघर्ष क्षेत्र से सुरक्षित स्थानों पर जाने देने का आह्वान करते हैं।
व्हाइट हाउस ने श्रीलंका से सुरक्षित क्षेत्र में गोलाबारी बंद करने और लिट्टे के चंगुल से निकले नागरिकों तक अंतर्राष्ट्रीय सहायता समूहों तथा मीडिया को जाने की इजाजत देने को कहा।
बयान में कहा गया अंतर्राष्ट्रीय सहायता कर्मियों की उन सभी जगहों तक पहुंच होनी चाहिए जहां आंतरिक विस्थापित लोगों का पंजीकरण किया जा रहा है और जहां वे शरण लिए हुए हैं।
श्रीलंका का कहना है कि वह तमिल विद्रोहियों को हराने के करीब है जो 1970 के अंत से ही पृथक तमिल राष्ट्र की मांग करते आ रहे हैं। उसका कहना है कि लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण सहित विद्रोही संगठन के कई शीर्ष नेता नागरिकों के बीच छिपे हैं।
श्रीलंकाई सरकार ने अमेरिका सहित अन्य देशों की युद्ध खत्म करने की अपील को खारिज कर दिया है और साथ ही क्षेत्र में मानवीय टीमें भेजे जाने के आग्रह को भी ठुकरा दिया है।
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