Uttarakhand Avalanche: चमोली में 55 में से 47 मजदूरों का रेस्क्यू, 8 अभी भी फंसे; PM मोदी ने दिया हर संभव मदद देने का आश्वासन
उत्तराखंड में चमोली जिले के माणा और बद्रीनाथ के बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) शिविर पर हुए हिमस्खलन में फंसे 55 मजदूरों में से 47 को बचा लिया गया है। शुक्रवार रात तक 33 को बचा लिया गया था।
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उत्तराखंड में चमोली जिले के माणा गांव स्थित सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर में हिमस्खलन के कारण कई फुट बर्फ के नीचे फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए शनिवार को फिर से बचाव कार्य शुरू किया गया तथा 14 और श्रमिकों को निकाल लिया गया लेकिन आठ लोग अब भी फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही, शुक्रवार सुबह माणा और बदरीनाथ के बीच बीआरओ के शिविर में हुए हिमस्खलन में फंसे कुल 55 मजदूरों में से 47 को बचा लिया गया है। शुक्रवार रात तक 33 श्रमिकों को निकाल लिया गया था।
शुक्रवार को बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हुई और रात में अभियान को कुछ देर के लिए रोक दिया गया।
शनिवार को मौसम साफ होने पर बचाव अभियान में हेलीकॉप्टर की भी मदद ली गई।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने बताया कि माणा में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने सुबह बचाव अभियान फिर से शुरू किया।
अधिकारियों के अनुसार, बचाव दल ने 14 और श्रमिकों को बर्फ से बाहर निकाला जबकि बाकी आठ की तलाश जारी है, जो 24 घंटे से अधिक समय से फंसे हुए हैं।
चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि शुक्रवार को बचाए गए श्रमिकों में से तीन की हालत गंभीर होने पर उन्हें बेहतर उपचार के लिए हवाई मार्ग से माणा स्थित आईटीबीपी अस्पताल से ज्योतिर्मठ सैन्य अस्पताल ले जाया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि साफ मौसम के कारण बचाव अभियान में तेजी आएगी।’’
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भी हिमस्खलन वाली जगह का दौरा करने की संभावना है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी सूची के अनुसार, फंसे हुए श्रमिक बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों से हैं। सूची में ऐसे 10 मजदूरों के नाम भी हैं, जिनके राज्यों का नाम नहीं बताया गया है।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हिमस्खलन स्थल के पास सात फुट तक बर्फ जमी हुई है। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान में 65 से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं।
बदरीनाथ से तीन किलोमीटर दूर स्थित माणा भारत-तिब्बत सीमा पर 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अंतिम गांव है।
इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देर रात एक बार फिर राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचकर बचाव कार्यों की समीक्षा की । उन्होंने बचाव कार्यों में वायुसेना के हेलीकॉप्टर के साथ ही राज्य सरकार की एजेंसी ‘युकाडा’ और निजी कंपनियों के हेलीकॉप्टर को भी शनिवार सुबह से बचाव कार्यों में शामिल करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रत्येक श्रमिक की सुरक्षित वापसी के लिए जो भी संभव होगा, हम वह करेंगे।’’ धामी हिमस्खलन बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए शनिवार को मौके पर भी जा सकते हैं ।
हिमस्खलन सुबह करीब 7.15 बजे हुआ, जिससे श्रमिक बर्फ में दब गए। ये मजदूर सेना के आवागमन के लिए नियमित रूप से बर्फ हटाने का काम करते हैं ।
घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस, सेना, सीमा सड़क संगठन, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे तथा खराब मौसम, लगातार बर्फबारी और भीषण ठंड के बीच बचाव और राहत कार्य शुरू किया ।
बदरीनाथ से करीब तीन किलोमीटर दूर माणा भारत तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है जो 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है ।
माणा से आ रही तस्वीरों में बचावकर्मी सफेद परिदृश्य में बर्फ के ऊंचे ढेरों के बीच से गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं ।
सेना ने बताया कि हिमस्खलन के बाद ऊंचाई में बचाव कार्यों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित ‘आईबैक्स ब्रिगेड’ को तुरंत सक्रिय कर दिया गया। इस टीम में चिकित्सक और एम्बुलेंस भी थीं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि फंसे लोगों को बचाना सरकार की प्राथमिकता है । 'एक्स' पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि उन्होंने घटना के संबंध में मुख्यमंत्री धामी, आईटीबीपी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के महानिदेशकों से बात की है ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिह ने कहा कि सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए फंसे लोगों को निकालने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं ।
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