प्लास्टिक की खाली बोतल 90 रुपये में बिकेगी!
बोतलबंद पानी की प्लास्टिक की जिस खाली बोतल को बेचने पर 10-15 पैसे भी नहीं मिलते, जल्द ही उससे 90 रुपये तक कमाई की जा सकती है.
प्लास्टिक की खाली बोतल 90 रुपये में बिकेगी! |
कुमाऊं विवि के इसी सत्र में स्थापित नैनो साइंस सेंटर में ऐसा सफलतापूर्वक किया जा रहा है. यहां एक प्लास्टिक बोतल से करीब 80 हजार रुपये प्रति किग्राके भाव मिलने वाली 2010 में खोजे गए कार्बन नैनो पदार्थ-ग्रेफीन (वैज्ञानिक नाम एसपी-2) में बदला जा रहा है.
इसके साथ वैकल्पिक पेट्रोलियम ईधन एवं सीमेंट-कंक्रीट के साथ प्रयुक्त हो सकने वाले दो अन्य पदार्थ भी तैयार किए जा रहे हैं. अभी यह प्रायोगिक स्तर पर है. जल्द इसके व्यावसायिक व बड़े स्तर पर सफल होने की राह खुली हुई है.
इस सफलता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्लीन इंडिया परियोजना से जोड़कर देखा जा रहा है. प्रयोग का धरातल पर लाभ मिलने लगे तो शहरी अजैविक व प्लास्टिक के कूड़े-कचरे से न केवल निजात मिल सकती है वरन मोटी आय भी प्राप्त की जा सकती है.
भविष्य को नैनो तकनीकी का दौर कहा जा रहा है. यह नैनो तकनीक पदार्थो को बहुत छोटा-पतला बनाने में सक्षम है. ग्रेफीन सर्वाधिक चालकता, तनन क्षमता, संकुचित करने और न टूटने की क्षमता युक्त परत भविष्य में कभी मैले न होने वाले व सामान्य वस्त्रों को भी बुलेट-प्रूफ जैकेट जैसी क्षमता प्रदान करने का गुण रखती है.
इसके बने पेंट दीवारों पर एक बार लगाने पर मौसम और धूल व अन्य गंदगी से मुक्त होंगे.
कुमाऊं विवि में कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी के प्रयासों से स्थापित नैनो साइंस सेंटर में सेंटर के प्रभारी प्रो. नंद गोपाल साहू ने बताया कि कुमाऊं विवि के नैनो साइंस सेंटर में केवल आठ हजार रपए की लागत से तैयार भट्टी में करीब 20 किग्राप्लास्टिक की पुरानी बोतलों से कार्य शुरू किया गया.
इसमें खास नई तकनीकों से बोतलों को जलाकर सर्वप्रथम भट्टी में इकट्ठा होने वाले कार्बन से ग्रेफीन, बचे पदार्थ से पेट्रोलियम उत्पाद और आखिर में सीमेंट-कंक्रीट के साथ मिलाकर निर्माण कायरे में प्रयुक्त किये जाने वाले पदार्थ को तैयार किया जा रहा है. इस प्रकार एक बोतल से करीब 90 रपए की आय प्राप्त की जा रही है.
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