केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बयानों का सिलसिला शुरू हो गया है।
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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अमित शाह की ओर से बाबा साहब पर दिये गए बयान को नकारात्मक मानसिकता का चरम बिंदु बताया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "जिनका मन 'विद्वेष' से भरा है, वो 'देश' क्या चलाएंगे। आज जो हुआ वो सिर्फ बाबासाहेब का ही नहीं, उनके दिये संविधान का भी अपमान है। ये भाजपा की नकारात्मक मानसिकता का एक और चरम बिंदु है। देश ने आज जान लिया है कि भाजपाइयों के मन में बाबासाहेब को लेकर कितनी कटुता भरी है। भाजपाई बाबासाहेब के बनाये संविधान को अपना सबसे बड़ा विरोधी मानते हैं क्योंकि उनको लगता है कि वो जिस प्रकार गरीब, वंचित, दमित का शोषण करके, उनके ऊपर अपना प्रभुत्व कायम करना चाहते हैं, उनकी इस बद मंशा के आगे संविधान ढाल बनकर खड़ा है। घोर निंदनीय! घोर चिंतनीय! घोर आपत्तिजनक! जन-जन कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।"
इस मामले को लेकर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को कहा, "बीआर अंबेडकर हमारे लिए पूजनीय हैं। कांग्रेस पार्टी और उसके कुछ सहयोगियों ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कल राज्यसभा में दिए गए भाषण की एक छोटी क्लिप निकाली है और उसे तोड़-मरोड़ कर वायरल कर दिया है। गृह मंत्री ने कल बहुत स्पष्ट रूप से बोला था कि बाबा साहेब अंबेडकर के जीवित रहते कांग्रेस पार्टी ने किस प्रकार उनका तिरस्कार और अपमान किया था। मैं कांग्रेस पार्टी की नौटंकी की निंदा करता हूं।"
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को राज्यसभा में संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, "आजकल अंबेडकर का नाम लेना एक फैशन बन गया है। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। सौ बार और नाम लीजिए, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि आपके मन में उनके लिए क्या भावना है?"
अमित शाह के इस बयान को लेकर बुधवार को सदन में हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस पार्टी सहित तमाम विपक्ष के नेताओं ने अमित शाह पर बीआर अंबेडकर के अपमान का आरोप लगाते हुए माफी की मांग की है।
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