गंगा बनाम यमुना मुद्दे पर केजरीवाल बनाम योगी आदित्यनाथ की लड़ाई
गंगा बनाम यमुना मुद्दे पर केजरीवाल बनाम योगी आदित्यनाथ की लड़ाई छिड़ गई है।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) |
उत्तर प्रदेश के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, "पिछले 6 सालों में 5,300 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की यमुना विषाक्त बनी हुई है। एक और आश्चर्यजनक बात यह है कि दिल्ली सरकार ने अपने 2021-22 के बजट में यमुना की सफाई के लिए फिर से 2,074 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जबकि योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2017 में सरकार बनाने के बाद केवल 2 साल के अंदर ही गंगा को साफ कर दिया है। इसके बाद प्रयागराज में 2019 में आयोजित हुए कुंभ में करोड़ों भक्तों ने पवित्र और स्वच्छ गंगा में डुबकी लगाई थी, जिसकी पूरी दुनिया में सराहना की गई। "
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली, यमुना के किनारे बसा सबसे पुराना शहर है। 18 नालों के जरिए रोजाना 760 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रति दिन) सीवरेज पानी यमुना में छोड़ा जाता है, जिसमें से 610 एमजीडी पानी केवल दिल्ली से छोड़ा जाता है। दूर से देखने पर यमुना वास्तव में एक गंदे नाले की तरह दिखती है और इसके पानी में दुगर्ंध भी होती है।
उन्होंने सवाल उठाया, "यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि 6 सालों में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी यमुना को पुनर्जीवित नहीं कर पाई है। ऐसे में सवाल यह है कि लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा कहां गया?"
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सराकर ने 46 बड़े सीवेज और नालों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर नैनी, झुसी और प्रयागराज से आने वाले गंदे पानी को संगम में साफ किया है। इन नालों से हर दिन 270 मिलियन लीटर गंदा पानी नदी में गिरता है।
इस काम के लिए सरकार ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान (एनईईआरआई) से कोलेबरेट किया था।
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