उत्तर प्रदेश शीतकालीन सत्र, कई मुद्दों पर हंगामे के आसार

Last Updated 05 Dec 2013 09:26:29 AM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार से शुरु हो रहा है.


उत्तर प्रदेश शीतकालीन सत्र गुरुवार से शुरु (फाइल फोटो)

पिछले दिनों गन्ने के समर्थन मूल्य को लेकर किया गया गन्ना किसानों का आंदोलन और मुजफ्फरनगर में हुए हिंसा के मुद्दे पर सत्र  में हंगामें के आसार हैं.

इसके अलावा विधानसभा सत्र में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा भी जोरशोर से गूंजने की उम्मीद हैं. वहीं विपक्ष राज्य में कानून व्यव्सथा को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं.

महज औपचारिकता है शीतकालीन सत्र: विपक्ष का आरोप

उत्तरप्रदेश विधान मंडल के शीतकालीन सत्र को हड़बड़ी और औपचारिकतावश बुलाया गया सत्र करार देते हुए विपक्षी दलों ने सरकार पर सभी परम्पराओं को तोड़ने का आरोप लगाया है.
    
बीजेपी विधान मंडल दल के नेता हुकुम सिंह का कहना है कि यदि सरकार के सामने अनुपूरक बजट पारित करवाने को लेकर सदन बुलाए जाने की विवशता न होती तो शायद यह सत्र बुलाया ही न जाता.
    
सिंह ने कहा, ‘‘सरकार ने यह सत्र अनुपूरक बजट पारित करने के लिए बुलाया है. अगर संवैधानिक मजबूरी न होती तो शायद यह सत्र बुलाया ही न जाता’’.
    
यह कहते हुए कि अब तक की योजना के अनुसार इस सत्र के बहुत संक्षिप्त होने की संभावना है.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की मंशा जो भी हो बीजेपी अपने संवैधानिक दायित्वों और जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाएगी और मिलों के चलने में हुई देरी, गन्ना किसानों के बकाए के भुगतान में हो रहे विलम्ब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगातार व्याप्त अशांति सहित सभी जनहित के मुद्दों को सदन में उठाएगी.
    
कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने इस सत्र को बिना किसी गंभीरता के जल्दबाजी में बुलाया गया करार देते हुए कहा कि सपा सरकार को केवल औपचारिकता निभानी है, जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने में उसकी कतई कोई रुचि नहीं है.
    
उन्होंने कहा कि सामान्यतया विधान मंडल सत्र बुलाए जाने के लिए सदस्यों को कम से कम 15 दिन पहले सूचना दी जानी चाहिए. मगर यह सत्र महज 5 दिन पहले बुलाया गया है, वह भी दो चार दिन के लिए है.



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