तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को लोकसभा सीट के परिसीमन पर यहां एक सर्वदलीय बैठक में दक्षिणी राज्यों के सांसदों और पार्टी प्रतिनिधियों वाली एक संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) के गठन का प्रस्ताव रखा।

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प्रस्ताव पेश करते हुए स्टालिन ने कहा कि संसद में सीट की संख्या में वृद्धि की स्थिति में 1971 की जनगणना को इसका आधार बनाया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने जोर देकर कहा कि 2026 से 30 वर्षों के लिए लोकसभा सीट के परिसीमन को लेकर 1971 की जनगणना को आधार बनाया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संसद में इस बारे में आश्वस्त करना चाहिए।
प्रस्ताव के मुताबिक जेएसी ऐसी मांगों को आगे बढ़ाएगी और लोगों के बीच जागरूकता पैदा करेगी। बैठक में सर्वसम्मति से जनसंख्या के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया का विरोध किया गया कहा गया कि यह ‘‘संघवाद और दक्षिणी राज्यों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अधिकारों के लिए खतरा होगा।’’
बैठक में रेखांकित किया गया कि तमिलनाडु संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के खिलाफ नहीं है। हालांकि, प्रस्तावित प्रक्रिया को पिछले 50 वर्षों के दौरान सामाजिक-आर्थिक कल्याण उपायों को अच्छी तरह से लागू करने के लिए सजा नहीं बनना चाहिए।
बैठक में कहा गया कि केंद्र ने राज्य की आवाज सुनने से इनकार कर दिया, जहां 39 लोकसभा सांसद हैं। अगर यह संख्या कम कर दी गई तो यह राज्य के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वदलीय बैठक इस बात को समझने के लिए है कि परिसीमन के मुद्दे पर राज्य को हाशिये पर धकेल दिया गया है, जिससे उसे अपने अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
स्टालिन ने आरोप लगाया, ‘‘दक्षिण भारत के सिर पर परिसीमन की तलवार लटक रही है और तमिलनाडु इससे बुरी तरह प्रभावित होगा।’’
मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक), कांग्रेस और वामपंथी दल, अभिनेता से नेता बने विजय की तमिलगा वेट्री कषगम (टीवीके) सहित अन्य ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), तमिल राष्ट्रवादी नाम तमिलर काची (एनटीके) और पूर्व केंद्रीय मंत्री जी. के. वासन की तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार) ने बहिष्कार किया।
सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) परिसीमन की कवायद का कड़ा विरोध कर रही है। पार्टी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री स्टालिन का दावा है कि इससे तमिलनाडु में लोकसभा की सीट कम हो जाएंगी। उन्होंने आश्चर्य जताया है कि क्या राज्य को पिछले कुछ साल में जनसंख्या नियंत्रण उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दंडित किया जा रहा है।
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया तमिलनाडु सहित दक्षिणी राज्यों को प्रभावित नहीं करेगी। उन्होंने स्टालिन पर इस मामले पर गलत सूचना अभियान चलाने का आरोप लगाया था।
अटकलों पर विराम लगाते हुए शाह ने कहा कि जब आनुपातिक आधार पर परिसीमन किया जाएगा तो किसी भी दक्षिणी राज्य के संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी नहीं आएगी।
तमिलनाडु के अलावा कांग्रेस शासित कर्नाटक और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों क्रमशः सिद्धरमैया और ए. रेवंत रेड्डी ने भी परिसीमन पर शाह के बयान को लेकर सवाल उठाया है।
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