CM उमर अब्दुल्ला बोले- शासन का 'हाइब्रिड मॉडल' होना किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं

Last Updated 02 Jan 2025 03:44:19 PM IST

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरूवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में शासन का ‘हाइब्रिड मॉडल’ किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है और जब सत्ता का एक ही केन्द्र होता है तभी तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है।


शासन के ‘हाइब्रिड मॉडल’ से उनका आशय केन्द्र शासित प्रदेश होने के नाते जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के पास शासन से जुड़ी अनेक संवैधानिक शक्तियां होने से है।

अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में शासन के ‘हाइब्रिड मॉडल’ के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘जाहिर है कि सत्ता के दोहरे केंद्र किसी के लिए फायदेमंद नहीं हैं। अगर शासन के लिए सत्ता के दोहरे केंद्र प्रभावी होते तो ये आपको अन्य जगहों पर भी दिखाई देते।’’

मुख्यमंत्री ने एक सवाल पर कहा, ‘‘कुछ मुद्दों पर मतभेद रहे हैं लेकिन राजभवन के साथ कोई टकराव नहीं हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब सत्ता का एक ही केंद्र होता है तो तंत्र बेहतर ढंग से काम करता है। केंद्र शासित प्रदेशों में तो सत्ता के दोहरे केन्द्र सन्निहित होते हैं। कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन उस पैमाने पर नहीं जितनी अटकलों थीं। ऐसी रिपोर्ट कोरी कल्पना मात्र है।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार के कामकाज के संबंध में नियम उचित विचार-विमर्श के बाद तैयार किए जाएंगे और फिर उन्हें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास भेजा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह उनमें से नहीं हैं जो लोगों से कहें कि वे राजभवन नहीं जाए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो कहूंगा कि लोगों को हर ऐसी जगह जाना चाहिए जहां उनके मुद्दे सुलझ सकते हैं फिर चाहे वह राजभवन हो या स्थानीय विधायक या अधिकारी।’’

आरक्षण के मुद्दे पर अपनी पार्टी के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी के विरोध के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) में लोकतंत्र है और किसी को भी बोलने का अधिकार है।

उन्होंने गुपकार में अपने आवास के पास आरक्षण विरोधी प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘नेकां पर अक्सर पारिवारिक पार्टी होने का आरोप लगाया जाता था लेकिन हमने हमेशा कहा है कि हम पार्टी में लोकतंत्र है और हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। सकारात्मक पक्ष देखें कि कितना बदलाव आया है। एक समय था जब विरोध करना अवैध माना जाता था लेकिन अब लोग विरोध करते हुए मेरे दरवाजे तक पहुंचे। इसके बाद हमारी एक बैठक हुई।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक ​​आरक्षण का सवाल है तो उन्होंने प्रतिनिधियों को बता दिया है कि कैबिनेट उप-समिति गठित कर दी गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि श्रीनगर से लोकसभा सदस्य मेहदी राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए इसी तरह का विरोध प्रदर्शन संसद में भी करेंगे।

अब्दुल्ला ने कहा कि हम आरक्षित और अन्य श्रेणियों की लड़ाई लड़ सकते हैं, ‘‘लेकिन पहले हमें अपनी नौकरियां बचानी होंगी।’’

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के परिसर के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर उठे विवाद पर एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास और हमारी उत्पादक कृषि भूमि की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘न हम अपनी जमीन बढ़ा सकते हैं और न ही विकास रुक सकता। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि विकास परियोजनाएं यथासंभव गैर-उत्पादक भूमि पर हों। मैंने पुलवामा से आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और उनसे कहा कि यदि आप पुलवामा में एनआईटी नहीं चाहते हैं तो हम इसे किसी अन्य स्थान पर ले जाएंगे।’’

सैटेलाइट कॉलोनी बनाए जाने के विपक्ष के आरोप पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव उनके सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज जो लोग सबसे ज्यादा शोर मचा रहे हैं, वे वही लोग हैं जो ग्रेटर जम्मू और श्रीनगर की बात करते थे।’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘जब हम श्रीनगर के निवासियों से बात करते हैं तो वे भीड़भाड़ कम करने की बात करते हैं... आवास की समस्या है। एक ही घर में 3-4 परिवार रह रहे हैं और वे कहते हैं कि अगर उन्हें मौका मिला तो वे उपनगरों में चले जाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर टाउनशिप बनाई जाएंगी तो वे बाहरी लोगों को बसाने के लिए नहीं होंगी बल्कि श्रीनगर के लोगों के लिए होंगी ताकि शहर की भीड़भाड़ कम हो सके। लेकिन सरकार के सामने अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव या योजना नहीं है।’’
 

भाषा
श्रीनगर


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