हरियाणा में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस को 17 अक्टूबर की शाम जोर का झटका कद्दावर नेता कैप्टन अजय सिंह ने दिया। उन्होंने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया।
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आलाकमान की तरफ से स्वीकार न किए जाने के बाद उन्होंने एक्स पर सुबह ताबड़तोड़ पोस्ट किए। जिसमें लिखा कि वो कोई संत नहीं बल्कि पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ हैं।
कैप्टन अजय सिंह यादव बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के समधी हैं। सुबह एक्स पर उन्होंने लिखा, मैं कोई संत नहीं हूं और एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ हूं तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी द्वारा मेरा इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद ही मैं अपने भविष्य की रणनीति तय करूंगा तथा कुछ नेताओं द्वारा मेरे राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई कार्यप्रणाली और बाधाओं का विस्तृत विवरण दूंगा।
इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद ही वो मीडिया से रूबरू होंगे। आगे लिखा, मैं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा मेरे इस्तीफे को स्वीकार किए जाने की प्रतीक्षा कर रहा हूं और उसके बाद मैं मीडिया से मिलूंगा और पिछले 2 वर्षों से कुछ नेताओं द्वारा मुझे दिए गए उत्पीड़न और शर्मिंदगी को लेकर अपनी बात रखूंगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने एक्स पर गुरुवार शाम इस्तीफे की बात बताई। इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया। वह अभी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में ओबीसी मोर्चा के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे
।कैप्टन यादव ने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा, 'मैंने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अब मैं ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के ओबीसी मोर्चा का चेयरमैन भी नहीं रहा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इसकी जानकारी दे दी गई है।'
कैप्टन यादव ने आगे लिखा, 'इस्तीफा देने का यह फैसला वास्तव में बहुत कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का कांग्रेस से 70 वर्ष पुराना नाता रहा है। मेरे दिवंगत पिता राव अभय सिंह 1952 में कांग्रेस से विधायक बने और उसके बाद मैंने पारिवारिक परंपरा को जारी रखा, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मेरे साथ बुरा व्यवहार किया गया। इससे मेरा पार्टी हाईकमान से मोहभंग हो गया है।'
कैप्टन यादव के बेटे चिरंजीव राव को कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा सीट रेवाड़ी से टिकट थमाया था जिसे वो बचा नहीं पाए थे और भाजपा प्रत्याशी से विधानसभा चुनाव में 28 हजार से ज्यादा मतों से हार गए थे।
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