Haryana Election : क्यों आसान नहीं है अंबाला कैंट से अनिल विज की राह, आईए जानते हैं

Last Updated 24 Sep 2024 07:00:03 AM IST

Haryana Election : हरियाणा में चुनाव का बाजार गर्म है ओर सभी पार्टियां अपना पूरा दमखम दिखाने में जुटी हुई हैं। ऐसे में हरियाणा में 71 वर्षीय दिग्गज भाजपा नेता अनिल विज (Anil Vij) की अंबाला कैंट विधानसभा सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। विज लगातार चौथी बार इस सीट से चुनाव जीतने के प्रयास में जुटे हुए हैं।


जानकारी के लिए आपको बता दें कि जब 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के पद की जिम्मेदारी संभाली, उन्हीं दिनों हरियाणा की सत्ता में भी भाजपा की भी वापसी हुई। 10 साल तक शासन करने के बाद लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करना पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

हरियाणा मं भाजपा के हरियाणा यूनिट में कई ऐसे दिग्गज नेता मौजूद हैं, जो समय-समय पर मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करते रहे हैं और उनमें से एक नाम अनिल विज का भी है, जो कि छह बार के विधायक और दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके हैं।

बीजेपी का यह दिग्गज नेता अनिल विज समय-समय पर प्रदेश का मुखिया बनने की अपनी व्यक्तिगत चाहत दिखा चुके हैं।

बता दें कि कि इस बार भी बीजेपी ने अंबाला कैंट विधानसभा सीट से अनिल विज को उम्मीदवार बनाया है। बिज ने इस सीट पर छह बार जीत मिली और विधायक बने।

जैसा कि इस बार का माहौल चल रहा है उस हिसाब से अनिल विज के लिए इस बार की डगर आसान नहीं लग रही है।

दूसरी ओर कांग्रेस ने भी इस सीट पर दमदार नेता को उतारा है। कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा के करीबी पूर्व पार्षद परविंदर सिंह परी को यहां से टिकट दिया है।

उधर AAP ने भी राज कौर गिल को टिकट देकर आधी आबादी (महिलाओं) को साधने की पुरजोर कोशिश की है।

ऐसे में इनेलो-बसपा गठबंधन भी कहां पीछे रहने वाला है, इस गठबंधन ने भी इस सीट से ओंकार सिंह, जजपा-असपा गठबंधन से करधान मैदान में हैं।

पूर्व कांग्रेस नेता चित्रा सरवारा ने इस विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार को रूप में ताल ठोका है। वह प‍िछली बार दूसरे स्‍थान पर थीं। इसलिए उनको भी हलके में लेना अनिल विज के लिए हानिकारक हो सकता है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि अनिल विज के सामने इनकंबेंसी की भी बड़ी चुनौती है। और कई चुनावी विश्लेषक मानते हैं कि अगर किसी दल की सरकार लगातार दो या उससे अधिक बार सत्ता में रहती है, तो वोटरों का रुझान उसकी तरफ कम ही रहता है।

जहां तक जातिगत और धार्मिक आधार पर वोटरों का सवाल है, तो बता दें कि अंबाला कैंट में पंजाबी और जट सिख के करीब 80 हजार मतदाता हैं। दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा वैश्य समाज के वोटरों की संख्या है। भाजपा को यहां पर पंजाबी और जट सिख के वोटर्स पर भरोसा है।

दूसरी तरफ ओबीसी समाज को भी लेकर भी भाजपा आश्वस्त दिखाई दे रही है।

अगर देखा जाए तो विज को मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश करने का भी एडवांटेज मिल सकता है। वह तब जब विज इस बार चुनाव जीतते हैं तो, अंबाला कैंट से लगातार चार बार और कुल सात बार विधायक बनने का तमगा उनके सिर लग जाएगा।

अब सभी की निगाहें पांच अक्टूबर पर टिकी हुई हैं, क्योंकि 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में मतदान होना है और वहीं इसके नतीजे आठ अक्तूबर को सामने आएंगे। जहां पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी, वहीं 'आप' ने एंट्री मारकर चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है।

सुरेन्द्र देशवाल, समय डिजिटल डेस्क
अंबाला कैंट


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