West Bengal : बंगाली समुदाय के घरों में शंख की ध्वनि के साथ गूंजा महालया का जाप, लोगों ने किया तर्पण
सर्वपितृपक्ष अमावस्या को विसर्जनी या महालया अमावस्या भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, 16 दिन से धरती पर आए हुए पितर इस अमावस्या के दिन अपने पितृलोक में पुनः चले जाते हैं।
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इस साल 14 सितंबर 2023 को महालया अमावस्या मनाई जा रही है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन सर्व पितृ विसर्जन होता है, पवित्र नदी में स्नान कर तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर कर पितरों को सम्मानपूर्वक विदाई दी जाती है। बता दें कि महालया का महत्व बंगाली समुदाय में कुछ खास है। मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग इस दिन का इंतजार करते हैं और महालया के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है।
पश्चिम बंगाल में लाखों लोगों ने आज महालय के अवसर पर 'तर्पण' किया।
इस विशेष दिन लोग हुगली और राज्य की अन्य नदियों एवं जलाशयों के तटों पर पहुंचे और अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया।
दिन की शुरुआत आकाशवाणी पर सुबह में महिषासुर मर्दिनी (देवी दुर्गा को समर्पित श्लोकों और गीतों के संग्रह) के प्रसारण से हुई। महिषासुर मर्दिनी का पहली बार सीधा प्रसारण 1930 के दशक की शुरुआत में आकाशवाणी पर किया गया था। तब से इसका प्रसारण महालय की सुबह करने का चलन बन गया है।
अधिकारियों ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने हुगली के विभिन्न घाटों पर कड़ी निगरानी रखी। अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता के जिन 18 घाटों पर श्रद्धालु तर्पण कर रहे हैं, वहां सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आज सुबह पूर्वी मेदिनीपुर जिले स्थित अपने गृहनगर कांथी में एक शोभायात्रा का नेतृत्व किया।
महालय के मौके पर कांग्रेस ने भी शुभकामनाएं दी। कांग्रेस ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, "मां दुर्गा आप सभी को शांति और समृद्धि का आशार्वाद दें और हमारे जीवन में प्रेम और सद्भाव आए।"
दुर्गा पूजा की शुरुआत 20 अक्टूबर यानी षष्ठी से होगी और इसका समापन 24 अक्टूबर यानी दशमी को होगा।
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