हिजाब विवाद: सभी की निगाहें कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी

Last Updated 08 Feb 2022 01:23:27 PM IST

कर्नाटक उच्च न्यायालय मंगलवार को उडुपी के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर गर्ल्स के छात्रों द्वारा हिजाब पहनकर कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।


(फाइल फोटो)

न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ दोपहर तक इस मुद्दे पर फैसला सुना सकती है। हिजाब विवाद तब शुरू हुआ, जब उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में कुछ छात्रों ने पिछले महीने हिजाब पहनना शुरू कर दिया और उन्हें कक्षाओं से बाहर कर दिया गया। छात्रों ने हिजाब के बिना कक्षाओं में भाग लेने से इनकार कर दिया और दूसरी ओर कॉलेज प्रशासन ने हिजाब से दूर रहने पर ही उन्हें अनुमति देने के लिए कड़ा रुख अपनाया।

इस विवाद पर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है। हिजाब का मुद्दा राज्य भर के कॉलेज परिसरों को परेशान कर रहा है, क्योंकि विरोध करने वाले छात्र टस से मस नहीं हो रहे हैं और उन्होंने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वे केवल हिजाब पहनकर कक्षाओं में भाग लेंगे। हिंदू छात्रों के भी भगवा शॉल पहनने से इस मुद्दे ने सांप्रदायिक रूप ले लिया है। उनका कहना है कि जब तक मुस्लिम छात्र हिजाब नहीं छोड़ेंगे, वे भगवा शॉल नहीं उतारेंगे।

कॉलेज प्रशासन पुलिस की मदद से छात्रों को हिजाब और भगवा शॉल के साथ कॉलेजों में प्रवेश नहीं करने दे रहा है। यह मुद्दा एक बड़े विवाद में बदल गया है और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को खतरे में डाल रहा है।

याचिका दायर करने वाले छात्रों में आयशा, हजीरा अल्मास, रेशम फारूक, आलिया असदी, शफा, शमीम और मुस्कान जैनाब हैं। अदालत में उनका प्रतिनिधित्व उनकी माताओं और वकील मोहम्मद ताहिर द्वारा किया गया है। एक अन्य छात्र रेशम फारूक ने अधिवक्ता शताबीश शिवन्ना के माध्यम से अलग याचिका दायर की है। अदालत एक साथ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

याचिका में छात्रों ने कहा है कि कॉलेज के अधिकारियों ने उन्हें केवल हिजाब पहनने के कारण कक्षाओं में जाने का अधिकार देने से इनकार कर दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि उडुपी के भाजपा विधायक रघुपति भट अवैध रूप से कॉलेज की गतिविधियों में दखल दे रहे हैं और उन्हें मामले में पक्षकार बनाया गया है।

उन्होंने आगे अदालत से अनुरोध किया है कि वह सरकार को निर्देश जारी करे कि वह उनके धार्मिक और मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप न करे। उन्होंने उल्लेख किया कि हिजाब पहनना उनके धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है।

आईएएनएस
बेंगलुरु


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