तमिलनाडु विधानसभा ने तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का केंद्र से अनुरोध करते हुए एक प्रस्ताव शनिवार को पारित किया। इन कानूनों के खिलाफ किसान महीनों से दिल्ली के बाहरी इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं।
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मुख्य विपक्षी दल अन्ना द्रमुक और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन कर दिया। शनिवार को जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रस्ताव रखा। भाजपा ने इसका विरोध किया और सदन से बहिर्गमन कर दिया।
अन्ना द्रमुक के विधायक दल के उपनेता ओ. पनीरसेल्वम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कृषि कानूनों के नुकसान को बताया जबकि इसके फायदे भी बताने की जरूरत है। उन्होंने पूछा कि क्या राज्य सरकार ने इस मामले पर केंद्र को पत्र लिखा और क्या उसे कोई जवाब मिला।
सदन के नेता दुरईमुरुगन ने कहा कि ये कानून तब लागू किए गए जब अन्ना द्रमुक राज्य में सत्ता में थी और स्टालिन भी यह जानना चाहते हैं कि क्या मुख्य विपक्षी दल आज के प्रस्ताव का समर्थन करती है या नहीं।
इसका जवाब देते हुए पनीरसेल्वम ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं इसलिए कोई फैसला नहीं लिया जा सकता। साथ ही उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए पार्टी के समर्थन का आश्वासन दिया।