हरियाणा सरकार कोविड-19 महामारी के कारण बेसहारा हुये 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पुनर्वास, इनकी परवरिश और इन्हें सुरक्षित भविष्य देने के लिये एक योजना शुरू की है।
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मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा घोषित इस ‘बाल सेवा योजना‘ को एलआर, वित्त विभाग और मंत्रिमंडल से हरी झंडी मिल गई है।
योजना को गत 10 जून को हुई स्थायी वित्त कमेटी की बैठक में मंजूरी दी गई जिसके तहत जिलों में चिन्हित किए गये लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया जाएगा।
योजना के तहत माता-पिता की मृत्यु के बाद जिन बच्चों की देखभाल अथवा पालन पोषण परिवार के अन्य सदस्य कर रहे हैं ऐसे बच्चों के लिए 18 वर्ष तक 2,500 रुपये प्रति बच्चा प्रति माह राज्य सरकार की ओर से परिवार को दिए जाएंगे।
इस राशि में 2,000 रुपये प्रति माह की राशि केंद्र प्रायोजित योजना के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा 18 वर्ष की आयु तक बच्चे की पढ़ाई के लिए 12,000 रुपये प्रति वर्ष राशि परिवार को दिए जाएंगे। यह राशि बच्चे की देखभाल कर रहे अभिभावक या परिवार के संयुक्त बैंक खाते में जमा कराई जाएगी। राज्य में 59 बाल देखभाल संस्थान हैं।
इसके अलावा, 18 वर्ष की आयु तक 1500 रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता आवर्ती जमा खाते में जमा की जाएगी और 21 वर्ष की आयु होने पर बच्चे को परिपक्वता राशि दे दी जाएगी।
कोरोना महामारी के कारण जिन लड़कियों ने किशोरावस्था में अपने अभिभावकों को खोया है उन्हें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में आवासीय शिक्षा मुफ्त दी जाएगी।
इसके अलावा, माता-पिता की मृत्यु के बाद बच्चों की देखभाल कर रहे परिवार के मामले में दिए जाने वाले लाभ, जैसे कि 18 वर्ष तक 2,500 रुपये और अन्य खर्चों के लिए 12,000 रुपये प्रति वर्ष, इन किशोरियों को दिए जाएंगे।
राज्य में 25 केजीबीवी हैं, जो कक्षा छठी से 8वीं तक शिक्षा प्रदान करते हैं।
इसके अलावा ऐसी अनाथ लड़कियों को मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत 51000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी जो उनके नाम पर बैंक में रखे जाएंगे और विवाह के समय उन्हें ब्याज सहित पूरी राशि दी जाएगी।
ऐसे बच्चों को कक्षा 8वीं से 12वीं के बीच या व्यावसायिक पाठ्यक्रम में पढ़ाई करने पर उन्हें एक टैबलेट प्रदान किया जाएगा ।
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