असम की दो पेपर मिलों को बेचे जाने के खिलाफ विरोध और तेज हुआ

Last Updated 10 Jun 2021 07:37:42 PM IST

सरकार द्वारा संचालित हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के स्वामित्व वाली दो पेपर मिलों की बिक्री के खिलाफ भाजपा शासित असम में विरोध तेजी से बढ़ रहा है।


महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव (फाइल फोटो)

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, जेल में बंद विधायक अखिल गोगोई, असम जातीय परिषद, मान्यता प्राप्त यूनियनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसीआरयू) और कई अन्य संगठनों और व्यक्तियों ने असम सरकार से एचपीसीएल के स्वामित्व वाली दो निष्क्रिय पेपर मिलें की बिक्री को रोकने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को अलग-अलग पत्रों में असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि दो पेपर मिलों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए एक उपयुक्त पैकेज तैयार किया जा सकता है क्योंकि केरल सरकार ने एचपीसीएल की सहायक इकाई हिंदुस्तान न्यूज प्रिंट लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया लिया है।

राज्यसभा सदस्य बोरा ने पीएम को लिखे अपने पत्र में कहा, "मुझे लगता है कि 2014, 2016, 2019 और यहां तक कि 2021 के दौरान विशेष आर्थिक पैकेज देकर दो पेपर मिलों को पुनर्जीवित करने के लिए चुनाव प्रचार सभाओं के कई अवसरों में आपकी बार-बार की प्रतिबद्धता के बारे में आपको याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है।"



हैलाकांडी जिले में एचपीसीएल की कछार पेपर मिल (सीपीएम) में उत्पादन 20 अक्टूबर, 2015 को बंद हो गया था, जबकि मोरीगांव के जगीरोड में नौगांव पेपर मिल (एनपीएम) 13 मार्च, 2017 से बंद है। दोनों के 2,500 से अधिक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है।

महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को लिखे पत्र में उनसे दो महत्वपूर्ण पेपर मिलों की बिक्री को रोकने का अनुरोध किया।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि "केरल सरकार ने कोट्टायम में हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड की इकाई का अधिग्रहण किया। आपकी सरकार ने हाल ही में गोलाघाट में नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) में असम सरकार की हिस्सेदारी को 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के अब तक के सबसे बड़े निवेश को मंजूरी दी है।"

उन्होंने आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि असम सरकार समान भावना दिखाएगी और दो पेपर मिलों को बचाएगी और कर्मचारियों के हितों को 1,100 करोड़ रुपये की मामूली लागत पर निजी हाथों में जाने से बचाएगी।

आईएएनएस
गुवाहाटी


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