मिजोरम के अधिकारियों द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश खत्म करने के बाद करीब पखवाड़े भर से चल रहा त्रिपुरा-मिजोरम सीमा पर तनाव आखिरकार खत्म हो गया। दोनों राज्यों के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी।
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रविवार की देर शाम पश्चिमी मिजोरम के ममित जिला प्रशासन ने धारा 144 के तहत लगी निषेधाज्ञा आदेश को रद्द कर दिया। धारा 144 एक स्थानीय संगठन द्वारा त्रिपुरा क्षेत्र में एक मंदिर के प्रस्तावित निर्माण के बाद हुए हंगामे के मद्देनजर शुक्रवार को फूलदुंगसेई, जाम्पुई और जोमुनतलंग गांवों में लगाई गई थी।
त्रिपुरा गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव अनिंद्य कुमार भट्टाचार्जी ने 17 अक्टूबर को मिजोरम गृह विभाग के उप सचिव डेविड एच. ललथंगलिआना को जोरदार शब्दों में अपने पत्र में कहा कि ममित के जिलाधिकारी ने त्रिपुरा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को भी गलती से शामिल कर लिया जब उन्होंने मिजोरम सीमावर्ती क्षेत्रों में निषेधात्मक आदेशों को लागू किया।
उत्तर त्रिपुरा जिले के पुलिस अधीक्षक भानुपद चक्रवर्ती ने कहा कि हालांकि मिजोरम प्राधिकरण ने निषेधात्मक आदेश को रद्द कर दिया, लेकिन त्रिपुरा स्टेट राइफल्स और पुलिस के जवान कुछ और समय तक फूलदुंगसेई गांव में रहेंगे। चक्रवर्ती ने सोमवार को आईएएनएस को बताया, "एक मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर विवादों को देखते हुए सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। हालांकि, अभी तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है या हमारी तरफ किसी भी तरह का तनाव नहीं है।"
इस बीच, लुसाई (मिजो) के एक संगठन मिजो कन्वेंशन ने सोमवार को 19 और 20 अक्टूबर को फुलदुंगसेई और आस-पास के इलाकों में अपने दो दिवसीय बंद का आह्वान किया।
मिजो कन्वेंशन के अध्यक्ष जीरमतिआमा पचू ने मीडिया को बताया कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर वे सोमवार और मंगलवार को स्ट्राइक पर नहीं जाएंगे।
त्रिपुरा के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते मिजोरम के साथ अंतर-राज्य सीमा के साथ विवादित फुलदुंगसेई गांव में एक मंदिर के पुनर्निर्माण को रोकने का आदेश दिया था।
उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर की सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) चांदनी चंद्रन ने ब्रू सोंग्रोंगमा मेथो के उपाध्यक्ष बाबूजॉय रिएंग को लिखे एक पत्र में मंदिर के पुनर्निर्माण को रोकने का निर्देश दिया था।
त्रिपुरा और मिजोरम 109 किलोमीटर की इंटर-स्टेट पहाड़ी सीमाओं को साझा करते हैं।
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