Delhi Excise Policy Case: दिल्ली सीएम केजरीवाल की याचिका को सुप्रीम कोर्ट सूचीबद्ध करने को राजी
Delhi Excise Policy Case: सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की उस याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सोमवार को सहमत हो गया, जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई -CBI) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट |
केजरीवाल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया।
सिंघवी ने दलील दी कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले के अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं पहले से ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं।
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘कृपया इसे ईमेल करें, मैं इस पर विचार करूंगा।’
मामले से जुड़े वकील विवेक जैन ने सोमवार को बताया कि मुख्यमंत्री ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को उचित करार देते हुए पांच अगस्त को इसे बरकरार रखा था।
अदालत ने कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं है और उसने साबित किया है कि ‘आप’ सुप्रीमो कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने की हिम्मत जुटा सके।
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए उन्हें नियमित जमानत के लिए पहले निचली अदालत का रुख करने को कहा था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल के खिलाफ प्रासंगिक साक्ष्य जुटाने और उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके खिलाफ साक्ष्यों का चक्र बंद हो गया और यह नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के या अवैध थी।
अदालत ने कहा था कि केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक हैं।
उसने कहा था, ‘गवाहों पर केजरीवाल का नियंतण्रऔर प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से पता चलता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने की हिम्मत जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने रेखांकित किया है।’
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