हरियाणा में ED ने M3M की 300.11 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की

Last Updated 19 Jul 2024 07:39:02 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मेसर्स एम3एम इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड की 88.29 एकड़ में फैली 300.11 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। कुर्क की गई जमीन हरियाणा के गुरुग्राम जिले की हरसारू तहसील के बशारिया गांव में है।


हरियाणा में ED ने M3M की 300.11 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी।

दरअसल, सीबीआई ने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीटीसीपी के तत्कालीन निदेशक त्रिलोक चंद गुप्ता, मेसर्स आर.एस. इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और 14 अन्य कॉलोनाइजर कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 (एलए अधिनियम) की धारा 4 और तत्पश्चात भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 6 के तहत संबंधित भूमि मालिकों की भूमि के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी करवाकर विभिन्न भूमि मालिकों, आम जनता और हरियाणा को धोखा देने की बात शामिल है, जिसके कारण भूमि मालिकों को अपनी भूमि को उक्त कॉलोनाइजर कंपनियों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी होने से पहले की प्रचलित कीमत से कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।

इसके अलावा, उन्होंने धोखाधड़ी और बेईमानी से अधिसूचित भूमि पर आशय पत्र (एलओआई)/लाइसेंस प्राप्त किए, जिससे संबंधित भूमि मालिकों, आम जनता और प्रदेश को नुकसान हुआ, जबकि उन्होंने गलत तरीके से खुद को लाभ पहुंचाया।

ईडी की जांच से इस बात का खुलासा हुआ कि एम3एम समूह के प्रमोटर बसंत बंसल और रूप बंसल के स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स आरएस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने एफआईआर में उल्लिखित व्यक्तियों के साथ मिलीभगत की और बिना किसी कानूनी आधार के उनके मामले को "अत्यधिक कठिनाई का मामला" बताकर, एक वाणिज्यिक कॉलोनी स्थापित करने के लिए 10.35 एकड़ भूमि के लिए अवैध रूप से लाइसेंस प्राप्त किए। वाणिज्यिक कॉलोनी स्थापित करने के लाइसेंस लेने के बाद मेसर्स आरएसआईपीएल के प्रमोटरों ने वाणिज्यिक कॉलोनी विकसित नहीं की।

बाद में, उन्होंने कंपनी के शेयर और संपत्ति को मेसर्स रेलिगेयर समूह की एक संबद्ध इकाई मेसर्स लो रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड को 726 करोड़ रुपये में बेच दिया। अवैध रूप से लाइसेंस प्राप्त करने की इस धोखाधड़ी गतिविधि के परिणामस्वरूप 300.15 करोड़ रुपये की अपराध आय (पीओसी) उत्पन्न हुई है, जिसे बाद में आरएसआईपीएल से मेसर्स आरएसआईपीएल के प्रमोटरों के बैंक खातों में और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया गया और बाद में मेसर्स एम3एम समूह की कंपनियों के परिचालन और व्यावसायिक खर्चों के लिए उपयोग किया गया। इस पूरे मामले में आगे की जांच जारी है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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