किसानों की राजभवन घेरने की तैयारी जोरों पर
किसानों की राजभवन घेरने की तैयारी जोरों पर है। फसलों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) कानून जैसी मांगों के लिए किसान 26 से 28 नवम्बर तक राजभवन घेरेंगे। इसे किसानों ने महापड़ाव का नाम दिया है।
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 25 नवंबर से ही किसानों ने राजधानी शिमला में प्रदर्शन शुरू कर दिए।
दिल्ली में 26 और 27 नवंबर को किसान उप राज्यपाल (एलजी) के निवास के बाहर धरना देंगे और 28 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदशर्न करेंगे। राजभवन के घेराव के दौरान किसानों का गिरफ्तारी देने का कोई इरादा नहीं है। किसानों ने राजभवन पर प्रदर्शन के लिए पुलिस को लिखित सूचना दी है।
राजभवन का घेराव संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किया जा रहा है। यूपी, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड , बिहार, झारखंड, असम, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में किसान तीनों दिन राजभवन का घेराव करेंगे।
वहीं महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में एक दिन 28 नवंबर को किसानों ने राजभवन पर प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा है। श्रीनगर में 26 नवंबर को और जम्मू में 28 नवंबर को किसान धरना देंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता पी कृष्णा प्रसाद ने कहा कि राजभवन पर प्रदर्शन केंद्र सरकार के खिलाफ किया जा रहा है और राज्यपाल और उपराज्यपाल केंद्र सरकार के ही प्रतिनिधि होते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों से वादा खिलाफी की है और लिखित आासन को भी पूरा नहीं किया है।
किसान नेता ने कहा कि राजभवन घेराव के साथ किसान आंदोलन फिर से गति पकड़ेगा। उन्होंने कहा कि राजभवन घेराव में अधिकांश श्रमिक संगठन भी शामिल हैं इसलिए यह बड़े पैमाने पर होगा।
किसान नेता ने कहा कि अब किसानों और मजदूरों दोनों की मांगों को मिलकर उठाया जाना है, इसीलिए संयुक्त किसान मोर्चा और सेंट्रल ट्रेड यूनियन एक साथ आए हैं। उन्होंने कहा कि किसान संगठन भी अब सेंट्रल ट्रेड यूनियन की पुरानी पेंशन की मांग का समर्थन कर रहे हैं। किसान नेता ने कहा कि अब किसान और मजदूर हर आंदोलन में एक साथ दिखेंगे।
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