दिल्ली में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को हाईकोर्ट में चुनौती
दिवाली से ड़ेढ महीने पहले ही प्रदूषण के नाम पर पटाखों के स्टोर, बिक्री व चलाने पर दिल्ली सरकार के पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
दिल्ली में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को हाईकोर्ट में चुनौती |
याचिकाकर्ता ने इसे एक विशेष समुदाय की भावनाओं के खिलाफ बताया है। इसके साथ ही उसने इसे सुप्रीम कोर्ट व विभिन्न हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कहा है।
पटाखा की बिक्री व उसे जलाने पर रोक को एक व्यक्ति राहुल संवरिया व तनवीर ने अधिवक्ता पंकज कुमार, गौतम झा व स्वेता झा के माध्यम से याचिका दाखिल की है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने 15 सितंबर को अधिसूचना जारी कर दिवाली तक पटाखों के स्टोरेज, बिक्री व पटाखे चलाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।
सरकार ने यह प्रतिबंध राजधानी में प्रदूषण के नाम पर लगाया है।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित किया जाना चाहिए, लेकिन प्रदूषण सिर्फ पटाखा जलाने से नहीं होता है। प्रदूषण के लिए वाहन व खेती का अवशेष जलाया जाना भी जिम्मेवार है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दिवाली के अलावा पटाखे गुरु पर्व व क्रिसमिस पर भी चलाए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर दो घंटे पटाखे चलाने की छूट दे रखी है। साथ ही ग्रीन पटाखें चलाने पर रोक नहीं है। लेकिन सरकार के निर्णय से ग्रीन पटाखों के चलाने पर भी रोक लग गई है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि दिपावली करोड़ों लोग मनाते हैं। वह धार्मिंक रीति से पटाखे चलाकर खुशी मनाते हैं, लेकिन उसपर प्रतिबंध से उनकी भावनाएं आहत हुई हैं।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट कई फैसलों में स्पष्ट कर चुका है कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं बल्कि, अर्ध प्रतिबंध है।
ऐसे में सरकार का पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध संबंधी निर्णय मनमाना व अव्यवहारिक है। इस निर्णय को खारिज कर दिया जाए।
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