टीके के बाद मौत का जोखिम नहीं के बराबर

Last Updated 16 Jun 2021 09:01:26 AM IST

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को उन खबरों को ‘अधूरी’ और ‘सीमित समझ वाली’ बताया जिनमें दावा किया गया है कि 16 जनवरी से सात जून के बीच टीकाकरण के बाद मृत्यु के 488 मामले कोरोना के बाद की जटिलताओं से जुड़े थे।


टीके के बाद मौत का जोखिम नहीं के बराबर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, देश में उक्त अवधि में 23.5 करोड़ लोगों को कोरोना टीका लग चुका था। कोरोना टीकाकरण से देश में मृत्यु के मामलों की संख्या टीका लगवा चुके लोगों की संख्या का महज 0.0002 प्रतिशत है। यह किसी आबादी में अपेक्षित दर है। मंत्रालय ने कहा, यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि कोरोना से संक्रमित पाए जाने वाले लोगों में मृत्यु दर एक प्रतिशत से अधिक है। टीकाकरण इन मृत्यु के मामलों को भी रोक सकता है। उसने कहा, इसलिए कोरोना से मृत्यु के ज्ञात जोखिम की तुलना में टीकाकरण से मृत्यु का जोखिम नगण्य है।

इस बीच कोविड-19 रोधी टीकों के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रही सरकार की एक समिति ने टीकाकरण के बाद ऐनफलैक्सिस (जानलेवा एलर्जी) की वजह से मृत्यु के पहले मामले की पुष्टि की है। कोविड-19 का टीका लगाए जाने के बाद प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआई) से मौत के 31 गंभीर मामलों का समिति ने मूल्यांकन किया। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 68 साल के एक व्यक्ति को 8 मार्च, 2021 को टीका लगाया गया था, जिसके बाद गंभीर एलर्जी होने से उनकी मृत्यु हो गई।
 

एसएनबी
नई दिल्ली


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