जीएसटी के दायरे से बाहर हों सैनिटाइजर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वैक्सीन : सिसोदिया
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को जीएसटी कॉउंसिल की मीटिंग में सैनिटाइजर, ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वैक्सीन, थमार्मीटर, ऑक्सीमीटर जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर लाए जाने की मांग की है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो) |
दिल्ली सरकार के मुताबिक यह मांग इसलिए की गई है ताकि आर्थिक तंगी से जूझ रहे आम आदमी पर टैक्स का भार न पड़े। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बैठक में केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों के वित्तमंत्रियों ने इसपर आपत्ति जताई और इन वस्तुओं पर टैक्स बनाए रखने का निर्णय लिया।
दिल्ली सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय के इस निर्णय से असहमति जताई है। दिल्ली ने केंद्र सरकार से अपील की है कि संकट के इस दौर में जब आम आदमी की कमाई बंद हो गई है और वो मेडिकल खर्चो से घिर गया है, उस दशा में सरकार आवश्यक मेडिकल वस्तुओं पर टैक्स लगाकर कमाई न करे।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार खुले मन और बड़े दिल से इस निर्णय पर दोबारा सोच विचार करे और सैनिटाइजर, ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वैक्सीन, थमार्मीटर, ऑक्सीमीटर जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर करे।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ये कड़वा सच है कि मास्क, सैनिटाइजर जैसे वस्तुएं लोगों के मासिक बजट का हिस्सा बन चुकी हैं। लोग जब हर महीने मास्क और सैनिटाइजर खरीदने में 500-500 रुपये खर्च करते है तो सोचते है कि क्या उन्हें इनपर टैक्स देने से बचत मिलेगी या नहीं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रिटेन में तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और इससे भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना है। इस समय राज्य और केंद्र सरकार मिलकर प्राइवेट और सरकारी हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्च र को बेहतर बनाने के लिए निवेश कर रही है। लेकिन जब सरकार किसी निजी अस्पताल को 10 लाख रुपये खर्च कर अपने बेड को वेंटीलेटर बेड में तब्दील करने को कहती है तो अस्पतालों के मन में ये सवाल जरूर आता है कि 10 लाख रुपये निवेश करने के साथ-साथ उन्हें 50 हजार रुपये टैक्स भी देना होगा इससे वो निवेश के प्रति उदासीन हो जाते है। उन्होंने कहा कि संकट के इस समय सरकारों को टैक्स कमाई करने की बजाए लोगों की मदद करने की जरूरत है।
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