टीकाकरण से प्रतिकूल प्रभाव होने पर मुआवजे का आश्वासन

Last Updated 17 Jan 2021 06:20:37 AM IST

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शनिवार को कोवैक्सीन का टीका लगवाने वाले स्वास्थ्यकर्मिंयों के लिए एक सहमति पत्र (कंसेंट फॉर्म) बनाया गया था जिस पर उन्हें हस्ताक्षर करने थे।


टीकाकरण से प्रतिकूल प्रभाव होने पर मुआवजे का आश्वासन

इस फॉर्म में यह वादा किया गया है कि अगर टीके की वजह से किसी तरह का दुष्प्रभाव या गंभीर प्रभाव पड़ता है तो मुआवजा दिया जाएगा।
कोवैक्सीन ने चरण एक और चरण दो परीक्षणों में कोविड -19 के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण करने की क्षमता को प्रदर्शित किया है। फॉर्म में कहा गया है हालांकि, क्लीनिकल प्रभावशीलता संबंधी तथ्य को स्थापित किया जाना अभी बाकी है और इसका अभी भी चरण-3 क्लीनिकल ट्रायल में अध्ययन किया जा रहा है।

इसमें कहा गया है कि इसलिए यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि टीके की खुराक लेने का मतलब यह नहीं है कि कोविड-19 से संबंधित अन्य सावधानियों का पालन नहीं किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार प्रतिकूल प्रभाव के मामले में पीड़ित व्यक्ति को सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकीय रूप से मान्यता प्राप्त देखभाल प्रदान की जाएगी। फॉर्म में कहा गया है। गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होने पर मुआवजा दवा कंपनी द्वारा तब दिया जाएगा जब यह साबित हो जाता है कि दुष्प्रभाव टीके के कारण हुआ है। टीका लगवाने वालों को एक फैक्टशीट और सात दिनों के भीतर प्रतिकूल प्रभावों की सूचना देने के लिए एक प्रपत्र भी दिया गया।
एम्स में फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के बाद कोवैक्सीन का टीका लगवाने वालों में निदेशक रणदीप गुलेरिया और नीति आयोग के सदस्य डा. वी के पॉल भी शामिल थे। भारत बायोटेक द्वारा स्वदेशी तौर पर विकसित कोवैक्सीन को जनहित में आपात स्थितियों में सीमित इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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