ई-लर्निग के जरिये शिक्षा प्रदान करने में दिल्ली अन्य राज्यों से आगे
दिल्ली सरकार का मानना है कि ई-लर्निंग में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली अन्य राज्यों से बहुत आगे है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो) |
दिल्ली में शिक्षकों एवं अधिकारियों से कहा गया है कि अगर जिले में 300 बच्चे भी लर्निग प्रक्रिया में छूट गए हों, तो रात-दिन आपको फिक्र होनी चाहिये कि उनकी तलाश कैसे हो। इस बीच गुरुवार को दिल्ली के नए शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने अपना पदभार संभाला। नए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा निदेशक अजीमुल हक ने भी पदभार संभाल लिया है। इस दौरान दोनों निवर्तमान अधिकारी बिनय भूषण एवं एसएस गिल को विदाई भी दी गई।
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा विकास के लिए दोनों निवर्तमान अधिकारियों से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया।
सिसोदिया ने कहा, "दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट 98 फीसदी तक पहुंच गया है। बिनय भूषण का इस बदलाव में महतव्पूर्ण योगदान रहा है। हमारे स्कूलों से हर साल लगभग ढाई लाख स्टूडेंट्स निकलते हैं। पहले इनमें से मात्र 90 हजार बच्चों को 12 वीं के बाद उच्च कक्षाओं में एडमिशन मिल पाता था। एसएस गिल के प्रयासों से अब 1.30 लाख बच्चों का एडमिशन हो रहा है।"
दिल्ली सरकार के मुताबिक शुरूआती दौर में खर्च का हिसाब लगाने पर राज्य के कुल बजट का 25 फीसदी सिर्फ शिक्षा पर लगाने की जरूरत सामने आई। जबकि उस वक्त तक शिक्षा पर मात्र 12 फीसदी खर्च होता था। लेकिन मुख्यमंत्री ने 25 फीसदी खर्च पर सहमति दी।
सिसोदिया ने कहा, "अब तक हमने संख्यात्मक रूप से काफी सफलता हासिल कर ली है। अब हमें गुणात्मक तौर पर भी आगे बढ़ने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। अब शिक्षा विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग के साथ ऐसा तालमेल बने, जिससे एक दूसरे की जरूरत का पता चले। उच्च शिक्षा निदेशक को मालूम हो कि आज पहली कक्षा में कितने बच्चे हैं, जिनके लिए 12 साल बाद उच्च शिक्षा में कितनी सीटों की जरूरत होगी।"
दिल्ली सरकार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अपने अपने जिलों के डेटा को अच्छी तरह समझने और उसके अनुरूप प्लानिंग का सुझाव दिया। शिक्षा विभाग में भी एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट को बढ़ावा देने की जरूरत बताई गई है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, "98 प्रतिशत रिजल्ट देने वाले शिक्षकों ने कोरोना के दौर में अन्य कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान किया है। इसके लिए हमें टीम एजुकेशन पर गर्व है। शिक्षा का काम चुनौतीपूर्ण और बेहद जरूरी है। शिक्षा पर ध्यान नहीं देना देश की सबसे बड़ी गलती रही है। अब शिक्षा को देश की मुख्यधारा में शामिल करना और सर्वोच्च प्राथमिकता देना जरूरी है।"
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