कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री आरिफ अकील का निधन
कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री रहे आरिफ अकील का सोमवार की सुबह निधन हो गया।
कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री आरिफ अकील का निधन |
उन्हें इलाज के लिए भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके विधायक बेटे आतिफ अकील ने बताया कि रविवार शाम को सीने में दर्द की शिकायत होने पर अपोलो सेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा था। आरिफ अकील को ‘शेरे भोपाल’ कहा जाता है। इसकी वजह है - दो दशक से हर कोशिश करने के बाद भी भाजपा उनका अभेद किला भोपाल उत्तर नहीं ढहा पाई। लोग कहते हैं कि ‘आरिफ भाई काम में भेदभाव नहीं करते। उनका मानना था कि जो मेरे पास आ गया वो मेरा है।’
आरिफ अकील को पिछले साल हार्ट में दिक्कत हुई थी। पिछले साल की शुरुआत में ही उनकी तबीयत बिगड़ी थी। डॉक्टरों की जांच में उनके हार्ट में ब्लॉकेज पाए गए थे। गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में उनके हार्ट की सर्जरी हुई थी। सर्जरी के बाद उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा। बेटे आतिफ को पार्टी ने भोपाल उत्तर से उम्मीदवार बनाया तो वे पूरे समय जीप और व्हीलचेयर से वोट मांगने निकले थे।
आरिफ अकील के राजनीतिक सफर की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप हुई। 1977 में वे कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए।990 में आरिफ अकील पहली बार उत्तर विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री हसानत सिद्दीकी को हराया था।
1993 में आरिफ अकील ने जनता दल के बैनर तले चुनाव लड़ा पर वे भाजपा के रमेश शर्मा से हार गए। एमपी वक्फ बोर्ड और बार काउंसिल के सदस्य भी बने।
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से लड़े और अबकी बार भाजपा के रमेश शर्मा को हराया। इसके बाद उत्तर विधानसभा सीट आरिफ अकील का गढ़ ही बन गई।
तबीयत खराब रहने के चलते 2023 में आरिफ की जगह उनके बेटे आतिफ अकील को कांग्रेस ने भोपाल उत्तर से उम्मीदवार बनाया। आतिफ इस सीट से विधायक हैं।
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