गोवा में लौह अयस्क खनन पर से रोक हटी
सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में लौह अयस्क के खनन पर लगी रोक को हटाते हुए खनन को दो करोड़ टन वार्षिक तक सीमित रखने की अनुमति दी.
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पहले गोवा में प्रतिवर्ष चार करोड टन लौह अयस्क का खनन होता था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पार्क और वन्य जीव अभ्यारण्य के एक किलोमीटर के दायरे की जमीन को खनन के लिए पट्टे पर दिये जाने की अनुमति नहीं दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति एमबी शाह आयोग द्वारा अवैध खनन संबंधी रिपोर्ट के बाद सितंबर 2012 में गोवा में लौह अयस्क खनन पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को छह महीने के भीतर राष्ट्रीय पार्क के आस पास पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र की पहचान करने का आदेश दिया है.
इस वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए एक समिति का गठन करते हुए कहा था कि गोवा लौह अयस्क खनन की वार्षिक सीमा दो करोड 75 लाख टन तक रख सकता है लेकिन एमबी शाह आयोग की रिपोर्ट आने के बाद गोवा में खनन सीमा दो करोड लाख टन वार्षिक निधार्रित की गई है.
कोर्ट के इस निर्णय से खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सेसा स्टरलाइट को फायदा होगा क्योंकि गोवा में खनन पर रोक लगने से इसकी वहां स्थित इकाई के करीब 1017 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था.
इसके बाद कंपनी ने कर्मचारियों की आय समाप्त होने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने का फैसला किया था.
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