बिहार के बांका जिले के कटोरिया थाना क्षेत्र के कलोथर जंगल में मंगलवार देर रात पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में बिहार-झारखंड का कुख्यात नक्सली रमेश टुडू मुठभेड़ में ढेर हो गया।

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एक लाख रुपये का इनामी 'हार्डकोर' नक्सली कटोरिया के बूढ़ीघाट गांव का निवासी था और पिछले 15 साल से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था। उसके खिलाफ जमुई और देवघर जिले के विभिन्न थानों में हत्या, अपहरण, डकैती और आर्म्स एक्ट जैसे 11 संगीन मामले दर्ज थे।
रमेश टुडू का आपराधिक इतिहास लंबा रहा है। 30 नवंबर 2011 को चन्द्रमंडी थाना में हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत पहला केस दर्ज हुआ। इसके बाद 18 दिसंबर 2015 को हत्या और साजिश, 21 सितंबर 2018 को हत्या, 9 जनवरी 2019 को अपहरण, 28 फरवरी 2019 को पुलिस पर हमला और 24 मई 2019 को साजिश व विस्फोटक अधिनियम के तहत मामले दर्ज हुए।
6 मार्च 2016 को चकाई थाना में हत्या, 27 फरवरी 2017 को जसीडीह थाना में हत्या व डकैती, 23 दिसंबर 2013 को अपहरण, 17 नवंबर 2014 को चोरी व यूएपीए एक्ट और 13 जनवरी 2021 को आर्म्स एक्ट में केस दर्ज हुए।
मुठभेड़ के बाद डीएम अंशुल कुमार ने रमेश के शव के पोस्टमार्टम के लिए कटोरिया बीडीओ विजय कुमार सौरभ को मजिस्ट्रेट नियुक्त किया। पुलिस और एसटीएफ ने इलाके में सर्च अभियान तेज कर दिया है और नक्सलियों के अन्य ठिकानों पर कार्रवाई शुरू की गई है।
इस घटना से क्षेत्र में नक्सली सक्रियता का डर फिर से बढ़ गया है। करीब 20 साल पहले 3 नवंबर 2005 को आनंदपुर ओपी प्रभारी भगवान सिंह की हत्या के बाद नक्सलियों ने दहशत फैलाई थी, जिससे जंगलों में उनकी पकड़ मजबूत हुई। इलाके में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई का इतिहास रहा है।
26 फरवरी 2011 को जयपुर थाना क्षेत्र के मांझीडीह में 12 घंटे की मुठभेड़ में 6 नक्सली मारे गए थे, जिसमें देवान टुडू गिरफ्तार हुआ था। उसके पास से लूटी गई रायफल, एसएलआर, पिस्टल और 141 खोखे बरामद हुए थे। उसे दो साल पहले उम्रकैद की सजा मिली।
20 फरवरी 2017 को सब जोनल कमांडर मंटू खैरा के मारे जाने के बाद इलाके में शांति आई थी। कटोरिया, चांदन और आनंदपुर ओपी थाना क्षेत्र का बड़ा हिस्सा जंगल, पहाड़ और नदियों से घिरा है। घने जंगलों के कारण यह इलाका नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना रहा है।
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