कौन हैं बिहार की शाम्भवी ?
बिहार की एक बेटी और एक बहू शाम्भवी चौधरी आजकल चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं।
![]() Shambhavi Chaudhry |
कुछ दिन पहले तक पटना के इक्का दुक्का परिवारों के बीच ही जाने जाने वाली शाम्भवी चौधरी का नाम आज लाखों लोग जान चुके हैं। महज 25 साल की एक महिला आज सुर्ख़ियों में क्यों है, हम बताएँगे, इस महिला की प्रोफ़ाइल सुनकर आप चौंक जाएंगे। आगे बढ़ने से सबसे पहले यह जान लेते हैं कि आज शाम्भवी चर्चाओं में क्यों हैं ? दरअसल लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान ने इन्हें लोकसभा की सुरक्षित सीट समस्तीपुर से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। चर्चा इसलिए भी ज्यादा हो रही है कि शाम्भवी के पिता अशोक चौधरी जदयू के ना सिर्फ कदावर नेता हैं बल्कि नीतीश कुमार की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं। शाम्भवी इस समय देश की सबसे कम उम्र की लोकसभा प्रत्याशी हैं। अगर आने वाले समय में ये चुनाव जीत जाती हैं तो लोकसभा में बैठने वालीं शाम्भवी सबसे कम उम्र की सांसद होंगी। अब आइए जानते हैं शाम्भवी के बारे में। पहले शाम्भवी के मायके की बात करते हैं।
शाम्भवी के पिता अशोक चौधरी जनता दल यूनाइटेड के नेता हैं, और इस समय बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे हैं। इन्हे कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। शाम्भवी के दादा महावीर चौधरी भी बिहार के एक कदावर नेता थे। वो कई बार बिहार में मंत्री भी रहे। शाम्भवी का परिवार कई मामलों में एक अनूठा परिवार है। इस परिवार ने एक मिशाल पैदा की है। शाम्भवी दलित परिवार से आती हैं, इनकी बिरादरी पासवान है। जबकि इनकी शादी बिहार की एक भूमिहार परिवार, जो स्वर्ण जाति में आती है, उसमें हुई है।
अगर शाम्भवी का मायका राजनैतिक और सामाजिक तौर से प्रभावशाली रहा है तो ससुराल पक्ष भी कम नहीं है। शाम्भवी के ससुर आचार्य किशोर कुणाल पूर्व आईपीएस हैं। किशोर कुणाल उस समय चर्चाओं में आए थे जब वीपी सिंह की सरकार में उन्हें विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता करने के लिए अपॉइंट किया गया था। कुणाल जब पटना में एसएसपी थे तब उन्होंने पटना रेलवे स्थित मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उनका महावीर मंदिर न्यास कई तरह के सामाजिक कार्यों का संचालन करता है। किशोर कुणाल राम मंदिर निर्माण के कार्यों में भी लगे रहे। उनका पटना में ज्ञान निकेतन नाम का एक स्कूल है।
शाम्भवी फिलहाल इसी स्कूल की डायरेक्टर हैं। शाम्भवी की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री राम लेडी कॉलेज से हुई है। इन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अच्छी बात यह है कि जिस बिहार में जाति के नाम पर हमेशा विवाद होता रहा है। जाति के आधार पर आज भी भेदभाव होता है, उस बिहार में किशोर कुणाल और अशोक चौधरी ने एक ऐसी मिशाल पेश की है जिसकी चर्चा वर्षों तक होती रहेगी।
अशोक चौधरी पासवान है, इनकी बिरादरी अनुसूचित जाति में आती है जबकि किशोर कुणाल भूमिहार जाति से आते हैं, जो स्वर्ण में आती है। यही नहीं भूमिहार बिरादरी बिहार की सबसे सम्पन्न बिरादरी मानी जाती है। किशोर कुणाल के बेटे सायन कुणाल की शादी शाम्भवी चौधरी से हुई है। आगामी चार जून जब लोकसभा चुनाव का परिणाम निकलेगा तो लोगों की निगाहें इस सीट पर भी लगी रहेगी। क्यों कि उस शायद शाम्भवी चौधरी इतिहास बनाती हुईं नजर आएंगी।
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