बिहार सरकार ने जहां जीविका (महिला समूह) को सरकारी स्कूलों के बच्चों को मुख्यमंत्री पोशाक योजना के तहत दिए जाने वाले पोशाक को तैयार करने की मंजूरी दे दी है, वहीं भागलपुर के बुनकर इसके लिए कपड़े तैयार करेंगे।
|
हालांकि अभी कपड़ो की मंजूरी नहीं मिली है। भागलपुर जिला उद्योग केंद्र ने खादी कपड़ों का नमूना रेशम वस्त्र निदेशक को सौंप दिया है। भागलपुर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक रामशरण राम ने आईएएनएस को बताया कि रिकॉर्ड के मुताबिक यहां करीब 2500 से ज्यादा हैंडलुम हैं जबकि 10 से 15 हजार तक पावरलूम हैं।
उन्होंने कहा, "यहां हैंडलूम और पावररलूम में आवश्यकता के अनुसार कपड़ा उपलब्ध कराने की क्षमता है। भागलपुर कपड़े गुणवता के दृष्टिकोण से बेहतर हैं। कपडे का सैंपल दिए गए हैं। अगर आदेश मिलता है तो इसकी आपूर्ति तत्काल प्रारंभ कर दी जाएगी।"
उन्होंने कहा कि नमूने के तौर पर पैंट-शर्ट और सलवार-कमीज के के नमूने दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य के सरकारी तथा सरकार संपोषित स्कूलों में पहली से 12 वीं कक्षा तक में अध्ययनरत छात्रों को अगले सत्र से उनके पोशाकों को बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) की महिला समूह तैयार करेगी। इसमें कहा गया है कि रेडीमेड ड्रेस जीविका से खरीदने और स्थानीय स्तर खादी, पावरलूम या हैंडलूम से निर्मित कपड़े की खरीद को प्राथमिकता दिया जाएगा।
इधर, बिहार बुनकर कल्याण समिति का कहना है कि करीब एक करोड़ छात्र-छात्राओं को दो-दो पोशाक देनी है। छात्राओं को लिए औसतन नौ मीटर और छात्रों के साढे छह से सात मीटर कपडे लगेंगे। समिति का कहना है कि अगर कपड़े तैयार करने का आदेश भागलपुर के बुनकरों को मिलता है तो बुनकरों को ना केवल बाजार उपलब्ध हो जाएगा, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
| | |
|