बिहार : नए 'कलेवर' के साथ राजद को उसी के 'घर' में घेरने में जुटी भाजपा

Last Updated 28 Jan 2021 01:33:17 PM IST

बिहार में विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नए तेवर और नए कलेवर के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को उसी के घर में घेरने की कोशिश में जुटी है।


भाजपा ने राजद के परंपरागत वोट बैंक मुस्लिम, यादव (एमवाई) समीकरण में सेंध लगाने के जुगाड़ में है। भाजपा के नेता हालांकि इस रणनीति को खुले तौर पर स्वीकार नहीं करते, लेकिन हाल में भाजपा रणनीतिकारों द्वारा लिए गए फैसले इसकी पुष्टि जरूर करते हैं।

बिहार में भाजपा के सांसद नित्यानंद राय को केंद्रीय मंत्री के रूप में जिम्मेदारी देकर बिहार प्रभारी की जिम्मेदारी भूंपेंद्र यादव को दे दी गई। इसके बाद राज्य के सीमांचल में पहचान बनाने वाले शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद का सदस्य बनाकर हुसैन को राज्य की राजनीति में उतार दिया।

भूपेंद्र यादव और नित्यानंद राय की जोड़ी ने बुधवार को राजद के पूर्व सांसद सीताराम यादव सहित राजद के सात नेताओं को पार्टी में शामिल करवाया।

बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह भी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि राजद के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश में भाजपा जुटी है, जिसमें कुछ सफलता भी मिली है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के यादव वोट बैंक पर 2014 से ही नजर गड़ी है। उसका ही परिणाम है कि कई क्षेत्रों में यादव मतदाताओं का वोट भी राजग को मिला है। हालांकि सिंह मुस्लिम मतदाताओं में सेंध लगाने को आसान नहीं मानते। सिंह कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि शाहनवाज हुसैन जैसा बड़ा मुस्लिम नेता बिहार में कोई नहीं है।

उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि हुसैन का बिहार लाना पश्चिम बंगाल के चुनाव से जोड़कर देखा जा सकता है।

इधर, भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा इसे सिरे से नकारते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' मूल मंत्र है। भाजपा में जाति, परिवार, धर्म कोई मायने नही रखता। यहां सभी का सम्मान है। भाजपा की रणनीति केवल विकास को देखकर बनती है। उन्होंने कहा कि अन्य दलों के नेताओं में भाजपा के प्रति आकर्षण बढ़ा है और वे लोग भाजपा में सम्मिलित हो रहे हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा के नेताओं की नजर सीमांचल पर भी है। माना जा रहा है कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीती है, जिससे भाजपा को लगता है कि किसी बड़े मुस्लिम नेता के जरिए सीमांचल में सेंध मारी की जा सकती है। हालांकि जानकार इसे आसान नहीं मानते।

इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी कहते हैं कि बिहार में राजद सबसे बड़ी पार्टी है। राजद के वोटबैंक में सेंधमारी इतना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि राजद गरीबों, पिछड़ों की पार्टी रही है।

बहरहाल, इतना तय है कि भाजपा के राणनीतिकार राजद के वोटबैंक में सेंधमारी करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, अब देखने वाली बात होगी उन्हें इसमें कितनी सफलता मिलती है।

आईएएनएस
पटना


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