बिहार : सुशील का दावा, विपक्ष के दबाव में नीतीश ने शराब फैक्ट्रियों का लाईसेंस नवीकरण निर्णय नहीं लिया

Last Updated 19 Jan 2017 11:41:27 AM IST

बिहार राज्य मंत्रिपरिषद के अगले वित्तीय वर्ष से विदेशी शराब विनिर्माणशाला, बॉटलिंग प्लांट और अनाज आधारित आसवानी से इएनए बनाने वाली इकाईयों का लाईसेंस नवीकरण नहीं किये जाने के एक दिन बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि सरकार का यह फैसला विपक्ष की जीत है.


भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार (फाइल फोटो)

सुशील ने यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया कि भाजपा तथा सहयोगी दलों के दबाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आखिर झुकना पडा और शराब फैक्ट्रियों को बंद करने का फैसला करना पडा. यह विपक्ष की जीत है, जिसके फलस्वरूप शराब की 21 फैक्ट्रियों के लाइसेंस का नवीकरण अब नहीं होगा.
    
उन्होंने मांग की कि आगामी 21 जनवरी को मानव-श्रृंखला बनवाने से पहले मुख्यमंत्री को नये शराबबंदी कानून के अन्य ‘तालिबानी’ प्रावधानों को भी समाप्त करने की घोषणा भी करनी चाहिए.
    
सुशील ने कहा कि शराब बरामद होने पर परिवार के सभी वयस्कों को जेल, सम्पति जब्ती और सामूहिक जुर्माना लगाने जैसे प्रावधानों को हटाने पर सर्वदलीय बैठक में सहमति बनी थी, लेकिन सवा महीने बाद भी मुख्यमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं.


    
उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार ने जब गत वर्ष पहली अप्रैल से आंशिक शराबबंदी लागू की तब भाजपा ने पूर्ण शराबबंदी की मांग की थी. इसके दबाव में पांच दिन बाद उन्होंने पूर्ण शराबबंदी तो लागू कर दी, लेकिन शराब फैक्ट्रियों पर रोक नहीं लगायी.

एक तरफ पूर्ण शराबबंदी और दूसरी तरफ फैक्ट्रियों से न केवल विदेशी शराब का उत्पादन जारी रहा, बल्कि उसे कर छूट के जरिये प्रोत्साहित भी किया गया.
    
सुशील ने आरोप लगाया कि बिहार में बनी शराब दूसरे राज्यों में बेची जाती रही और नीतीश कुमार देश भर में शराबबंदी लागू करने के लिए धनबाद से लखनऊ दिल्ली तक सभाएं कर रहे थे.
    
उन्होंने कहा कि भाजपा ने पूर्ण शराबबंदी का समर्थन किया लेकिन ‘अधकचरी नीति’ से उत्पन्न हास्यास्पद स्थिति के खिलाफ लगातार आवाज भी उठायी.

भाषा


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