लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार सभी अभियुक्त बरी
पटना उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार मामले में सभी अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.
पटना उच्च न्यायालय (फाइल फोटो) |
न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा व न्यायमूर्ति अमरेश कुमार लाल की पीठ ने कहा कि गवाहों के बयान विश्वसनीय नहीं हैं और इस आधार पर सभी अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है. पीठ ने इस बाबत सत्र अदालत के 7 अप्रैल, 2010 के फैसले को निरस्त कर दिया.
सत्र अदालत ने 7 अप्रैल, 2010 को अभियुक्त विद्या सिंह, सुरेन्द्र सिंह, अशोक सिंह, गोपाल शरण सिंह, बालेर सिंह, धर्मा सिंह, द्वारिका सिंह, विजेन्द्र सिंह, नवल सिंह, बलराम सिंह, शिवमोहन शर्मा, नंदू सिंह, प्रमोद सिंह, शत्रुघ्न सिंह, राम केवल शर्मा, नंद सिह को फांसी की सजा एवं अभियुक्त अशोक शर्मा, बबलू शर्मा, मिथिलेश शर्मा, धरिच्छन सिंह, चंद्रेश्वर सिंह, नवीन कुमार, रविन्द्र कुमार, सुरेन्द्र सिंह, सुनील कुमार व प्रमोद सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. पीठ ने इस मामले में 26 जुलाई को सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस नरसंहार में 58 लोगों की हत्या कर दी गयी थी.
इस मामले में 16 अभियुक्तों को फांसी की सजा एवं 10 को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी. इसमें रणवीर सेना के समर्थकों पर आरोप लगाया गया था कि वारदात में उन्हीं का हाथ है.
यह ऐसा मामला है जिसे सुनवाई के लिए जहानाबाद से पटना स्थानांतरित किया गया और अभियुक्तों की जमानत याचिका पर सुनवाई उच्च न्यायालय के एक जज के बदले दो जज किया करते थे, जबकि सामान्यतया जमानत पर सुनवाई एक जज करते हैं. 1 दिसम्बर, 1997 की रात 10.30 से 11.45 के बीच घटना को अंजाम दिया गया था .
इस मामले में पटना की सत्र अदालत ने सुनवाई कर 7 अप्रैल, 2010 को 26 अभियुक्तों को दोषी ठहराया था और 19 को संदेह के आधार पर बरी कर दिया था.
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