बिहार में घरों तक पहुंचेगा राशन
बिहार में अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अनाज कार्डधारकों के दरवाजे तक पहुंचाया जाएगा.
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इस तरह बिहार ऐसा पहला राज्य होगा, जहां गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले करीब 1.45 करोड़ परिवारों के घर राशन पहुंचाया जाएगा.
बिहार में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की 45,000 से अधिक दुकानें हैं, जिन पर राज्य खाद्य निगम के 307 गोदामों से अनाज उठाकर कार्डधारकों को वितरित करने की जिम्मेदारी रही है. लेकिन कार्डधारक अक्सर अनाज न मिलने की शिकायत करते रहे हैं.
वर्ष 2007 में सरकार ने कूपन योजना प्रारम्भ की. इसके तहत पहले कूपन दिया जाता था और फिर कार्डधारकों को अनाज दिया जाता था. इस व्यवस्था में भी अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद कूपन में पिछले वर्ष बार कोड डाला गया लेकिन अब सरकार ने पारम्परिक और आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के जरिए राशन पहुंचाने का मन बनाया है.
राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्याम रजक ने बताया कि अब गोदामों से राशन उठाने के बाद वाहनों में लाउडस्पीकर लगाकर पूरे क्षेत्र में घोषणा की जाएगी कि राशन आ गया है. इसके बाद राशन को घर-घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी और मिलने वाले अनाज की मात्रा भी घोषित की जाएगी.
रजक ने कहा कि इससे गड़बड़ी होने की आशंका कम रहेगी. उन्होंने कहा कि पूर्व में शिकायत मिलती थी कि दुकानदार कार्डधारकों को कह देते थे कि महीने का अनाज आया ही नहीं और अनाज को विपणन पदाधिकारियों की मिलीभगत से खुले बाजार में बेच दिया जाता था. किसी महीने में थोड़ा-बहुत अनाज बांट भी दिया जाता था.
रजक ने कहा कि अनाज उठाने से पहले गांव की निगरानी समिति को भी इसकी सूचना दी जाएगी. उन्होंने बताया कि राज्य सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो ने राज्य के कई जिलों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनियमितताओं का पता लगाया है. विभाग का मानना है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों का कम से कम 15 प्रतिशत अनाज खुले बाजार में पहुंच जाता है.
बिहार में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले प्रत्येक परिवार को जहां प्रति महीने 10 किलोग्राम गेहूं और 15 किलोग्राम चावल दिया जाता है,
वहीं अंत्योदय योजना के तहत प्रति परिवार को 21 किलोग्राम चावल और 14 किलोग्राम गेहूं दिया जाता है. राज्य में अंत्योदय परिवारों की संख्या करीब 25,100 है.
रजक ने बताया कि राज्य में करीब 534 प्रखंड हैं, जिनमें से हर दो प्रखंडों पर एक गोदाम दिया जाएगा, जिसके कारण सरकार को इस योजना के लिए अत्यधिक खर्च वहन नहीं करना पड़ेगा. पहले जिला मुख्यालयों से राशन प्रखंडों में भेजना पड़ता था.
रजक ने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में जन सामान्य की भागीदारी बढ़ाने के लिए ऐसा प्रयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि जन वितरण में गड़बड़ी को रोकने में यह प्रयोग कारगर साबित होगा.
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