राजपक्षे और लिट्टे हमारी बात नहीं सुन रहे : अ
Last Updated 22 Apr 2009 10:40:43 AM IST
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वाशिंगटन। श्रीलंका की स्थिति को कठिन बताते हुए अमेरिका ने आज निराशा जताई कि श्रीलंका के उत्तरी हिस्से में जारी युद्ध पर न तो श्रीलंका की सरकार और न ही लिट्टे उसकी या विश्व समुदाय की बातों पर गौर कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के कार्यवाहक प्रवक्ता राबर्ट वुड ने फागी बाटम स्थित विदेश मंत्रालय के मुख्यायालय में संवाददाताओं से कहा समस्या यह है कि श्रीलंका की सरकार और लिट्टे अमेरिका ही नहीं विश्व समुदाय की बातों को भी नहीं सुन रहे है।
वुड ने कहा हम दबाव बनाने के लिये और उपायों की तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि सरकार और लिट्टे युद्ध से बाज आएं। उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम के लिये अभी कूटनीतिक पहल जारी है। बहरहाल उन्होंने इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी।
वुड ने संघर्ष क्षेत्र में फंसे हजारों नागरिकों के भागने को सकारात्मक प्रगति बताया और सेना और लिट्टे दोनों को गोलीबारी रहित क्षेत्र से या इस क्षेत्र में हिंसक गतिविधियों से बाज आने को कहा।
उन्होंने कहा श्रीलंका में अमेरिका के राजदूत राबर्ट ब्लेक श्रीलंका की सेना और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार संपर्क में है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय न सिर्फ संघर्ष को खत्म करने और दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने की कोशिश में लगा हुआ है बल्कि नागरिकों की सुरक्षा का प्रयत्न भी किया जा रहा है।
वुड ने कहा संघर्ष 1983 से जारी है। हम कोशिश कर रहे हैं कि कूटनीतिक तरीके से इस संघर्ष को खत्म कराया जा सके। साथ ही नागरिकों की सुरक्षा भी हो सकें।
प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों से असहयोग के बावजूद अमेरिका विश्व समुदाय के साथ मिलकर सरकार और लिट्टे के बीच शत्रुता खत्म कराने की कोशिश में है और जरूरतमंद लोगों तक मानवीय सहायता और खाद्य पदार्थ पहुंचाकर लोगों की सुरक्षा का प्रयत्न कर रहा है। उन्होंने लिट्टे से अपील की कि वह नागरिकों को संघर्ष क्षेत्र से बाहर निकलने दे और उनकी आवाजाही की स्वतंत्रता का सम्मान करे। उन्होंने कहा अमेरिका समझ रहा है कि नागरिकों के गोलीबारी रहित क्षेत्र छोड़ने की कोशिश करने पर लिट्टे उन पर हमला कर रहा है। प्रवक्ता ने कहा हम श्रीलंका की सरकार से कूटनीति पर चलने की अपील करते हैं और गोलीबारी रहित क्षेत्र में बचे नागरिकों को बाहर निकालने की वकालत करते है।
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