सुंदरवन में डीएनएन नमूनों से बाघों की गणना
Last Updated 27 Jan 2010 12:54:32 PM IST
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कोलकाता। सुंदरवन में बाघों की गणना अगले महीने शुरू होगी और पहली बार डीएनएन नमूनों के साथ इस कवायद को पूरा करने की तैयारी चल रहीं हैं।
सुंदरवन जीवमंडल अभयारण्य (एसबीआर) के निदेशक प्रदीप व्यास ने कहा कि बाघों की गणना फरवरी में की जाएगी। हालांकि सही तारीख स्टाफ सदस्यों के मैदानी प्रशिक्षण के बाद तय की जाएगी।
व्यास ने कहा, स्टाफ सदस्यों का प्रशिक्षण चल रहा है और उनका मैदानी प्रशिक्षण इस महीने के अंत में शुरू होगा। उन्होंने कहा कि 200 बाघ संरक्षक गणना में स्टाफ की मदद करेंगे।
व्यास ने कहा कि पहली बार इस प्रसिद्ध जंगल में बाघों की गणना के लिए डीएनए नमूना प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। सुंदरवन बाघ अभयारण्य के क्षेत्रीय निदेशक सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि जंगल में बाघों के मल आदि को इकट्ठा किया जाएगा और इन्हें विश्लेषण के लिए भेजा जाएगा।
सुंदरवन में परंपरागत तौर पर बाघों की गणना पैरों के निशानों (पगमार्क) पद्धति से की जाती रही है, जिसमें जंगल से बाघों के बाएं पैर के निशान लिये जाते हैं और उनका विश्लेषण किया जाता है।
एसबीआर के सूत्रों ने कहा कि पैरों के निशान लेकर गणना करने का तरीका मैदानी लिहाज से अनुकूल है लेकिन यह तरीका गलत आंकड़ों की स्थिति में पुन: मूल स्थिति में लौटने के लिहाज से सही नहीं है, इस वजह से ’प्रोजेक्ट टाइगर’ के अधिकारियों ने बाघों पर नजर रखने आदि के लिए नयी पद्धति विकसित की है।
सुंदरवन में अंतिम बार बाघों की गणना 2001 में की गयी थी, जिसमें बाघों की संख्या 274 निकल कर आयी थी। हालांकि इस संख्या को लेकर विवाद रहा।
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