जनजातीय समुदाय 10,000 रुपये के बदले अपने बच्चे गाड़ियों को सौंप रहे
नासिक में कोरोना के कारण आजीविका के संकट से जूझ रहे एक जनजातीय समुदाय के लोग साल में 10,000 रुपये के बदले अपने बच्चों को श्रमिक के रूप में काम करने के लिए गड़ेरियों को सौंप रहे हैं।
जनजातीय समुदाय 10,000 रुपये के बदले अपने बच्चे गाड़ियों को सौंप रहे |
पुलिस ने बताया, अब तक आठ बच्चों को गड़ेरियों के चंगुल से मुक्त कराया गया है। हाल ही में मजदूर के रूप में काम करने वाली एक 11 वर्षीय बच्ची की मौत हो जाने के बाद यह मामला प्रकाश में आया।
इस संबंध में हत्या का मामला दर्ज किया गया है। नासिक ग्रामीण पुलिस ने पड़ोसी जिले अहमदनगर से अब तक ऐसे आठ बच्चों को छुड़ाया है।
क वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन अन्य को बंधुआ मजदूरी व्यवस्था (उन्मूलन) अधिनियम-1976 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
अधिकारी ने बताया, सिन्नर रोड पर घोटी क्षेत्र के उबाडे गांव में 27 अगस्त को वह बच्ची एक जनजातीय सामुदायिक शिविर के बाहर बेहोश हालत में मिली थी, जहां 12 परिवार सड़क किनारे बने अस्थाई तंबू में रह रहे थे। किसी ने बच्ची को शिविर के बाहर छोड़ दिया था।
पुलिस और बच्ची के परिवार के लोग उसे अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान तीन सितम्बर को उसकी मौत हो गई।
अधिकारी ने बताया, पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि बच्ची और उसके 10 वर्षीय भाई को अहमदनगर में गड़ेरियों के हवाले कर दिया गया था। बच्ची साल में एक या दो बार अपने माता-पिता से मिलने आती थी।
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