Lok Sabha Election 2024 : हरियाणा में गैर-जाटों के भरोसे BJP
हरियाणा में इस बार भाजपा की 10 लोकसभा सीटें संकट में हैं। मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी जाट और किसानों का गुस्सा ठंडा नहीं पड़ा है। जाट गांवों में भाजपा प्रत्याशियों के प्रचार करना खतरे से खाली नहीं है।
![]() हरियाणा में गैर-जाटों के भरोसे भाजपा |
जाट युवकों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की रैली के लिए लगाया गया टेंट तोड़ दिया था। अब भाजपा की उम्मीदें गैर-जाट वोटों पर टिकी हैं। इस संवाददाता ने गुरुग्राम, झज्जर और रोहतक के कुछ ग्रामीण इलाकों का दौरा कर लोगों से उनकी राय जानने की कोशिश की। जाट बाहुल ग्रामीणों में भाजपा और जेजेपी से नाराज इलकी है, लेकिन गैर-जाट बाहुल गांव वाले भाजपा के प्रति समर्पित दिखते हैं। उनका कहना है कि जाट समुदाय की आबादी इतनी अधिक नहीं है कि वे चुनाव हरा सके। 2019 के चुनाव में भी जाट बाहुल रोहतक से गैर-जाट भाजपा के अरविंद शर्मा चुनाव जीत गए थे।
भाजपा ने करीब 10 साल पहले गैर-जाट नेता मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाकर जाटों के सम्मान को ठेस पहुंचाई थी। तब से जाट नाराज चल ही रहे थे कि किसान आंदोलन ने उस गुस्से को आग में घी का काम कर दिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में जाट वोट जननायक जनता पार्टी की तरफ चला गया और भाजपा की सीटें 47 से घटकर 40 रह गई। कांग्रेस की सीटें 15 से बढ़कर 31 हो गई थीं, लेकिन वह सरकार बनने से दूर रह गई जाट समुदाय का सारा वोट जेजेपी लीडर दुष्यंत चौटाला को मिल गया।
चुनाव के बाद दुष्यंत चौटाला ने भाजपा से गठबंधन किया और प्रदेश में उपमुख्यमंत्री बने। इससे जाट मतदाता दुष्यंत चौटाला से भी नाराज हो गए। आज स्थिति यह है कि दुष्यंत चौटाला जहां भी चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं तो जाट समुदाय उनका विरोध करने लगते हैं। हालांकि जाटों की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा और दुष्यंत चौटाला ने मित्रवत संबंध विच्छेद कर दिया, लेकिन जाट समुदाय इन दोनों दलों की इस मंशा को समझता है।
जाटों की नाराजी को देखते हुए भाजपा ने 2024 के चुनाव में भी गैर-जाटों पर फोकस करते हुए सोशल इंजीनियरिंग की है। पार्टी ने पिछली बार भी गैर-जाट को एकजुट करते हुए जाट लैंड यानी रोहतक में दीपेंद्र हुड्डा और सोनीपत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता को चुनाव हरा दिया था।
इस बार भी बीजेपी ने रोहतक और सोनीपत से ब्राह्मण उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर और गुरु ग्राम से राव इंद्रजीत सिंह को दोबारा टिकट देकर ओबीसी समुदाय को जोड़ने की कोशिश की है। जाट समुदाय को ही खुश करने के लिए रणजीत सिंह चौटाला को हिसार और धर्मवीर सिंह को महेंद्रगढ़-भिवानी से चुनाव मैदान में उतारा है।
भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह फिर से गैर-जाट नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया है। मनोहर लाल खट्टर करनाल से पार्टी की तरफ से उम्मीदवार हैं। झगड़ा तो कांग्रेस में भी काफी है। कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर वापस आए बृजेंद्र सिंह को हिसार से टिकट नहीं दिया है और किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को भी महेंद्रगढ़-भिवानी से उम्मीदवार नहीं बनाया है, न ही कैप्टन अजय यादव को गुरुग्राम से उम्मीदवार बनाया है। यहां से फिल्म अभिनेता रहे राज बब्बर ताल ठोक रहे हैं।
इसके कारण कांग्रेस में अंदरूनी घमासान चल रहा है। इसके बावजूद गैर-जाटों की नाराजगी भाजपा को परेशान कर रही है। भाजपा के एक नेता का कहना है कि भले ही जाट समुदाय के लोग भाजपा के प्रत्याशियों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन वह केवल कुछ गांव तक सीमित है। जाटों की संख्या भी 15 से 20 प्रतिशत ही है, बाकी गैर-जाट इसलिए भाजपा को नॉन जाट समर्थन दे रहे हैं।
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