230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में एकल चरण के चुनाव के लिए शुक्रवार सुबह 7 बजे से मतदान जारी है। चुनाव आयोग ने कहा, ''बड़ी संख्या में लोग वोट डाल रहे हैं।''
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जो सीहोर जिले के अपने गृह नगर बुधनी से चुनाव लड़ रहे हैं, ने अपनी पत्नी साधना सिंह और बेटे कार्तिकेय चौहान के साथ वोट डाला।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी पत्नी आशा विजयवर्गीय के साथ इंदौर-1 में वोट डाला। विजयवर्गीय इंदौर-3 सीट से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। वह 10 साल बाद चुनाव लड़ रहे हैं।
राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, जो क्रमशः दतिया और नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं, ने परिवार के सदस्यों के साथ मतदान किया।
पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ, जो अपने गढ़ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं, ने अपने बेटे और छिंदवाड़ा-इंदवारा सांसद नकुल नाथ के साथ वोट डाला।
मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) अनुपम राजन ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, ''मध्य प्रदेश के सभी 64,626 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण ढंग से मतदान चल रहा है। मतदाताओं की सुविधा के लिए मतदान केंद्रों पर बेहतर व्यवस्था की गयी है।''
मतदान केंद्रों पर ठीक सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया। 230 विधानसभा सीटों पर कुल 64,626 मतदान केंद्र हैं, जिनमें से 17,032 को संवेदनशील मतदान केंद्रों की श्रेणी में रखा गया है।
मध्य प्रदेश में कुल 5.59 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से 2.87 पुरुष मतदाता और 2.71 करोड़ महिला मतदाता हैं, जबकि 1,292 तीसरे लिंग के मतदाता हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार, मैदान में कुल 2,533 उम्मीदवार हैं, जिनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके कैबिनेट के कई कद्दावर मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल शामिल हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बेटे और पूर्व राज्य मंत्री जयवर्धन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह क्रमशः अपनी पारंपरिक राघौगढ़ और चुरहट सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। सत्ता के मुख्य दावेदारों कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत अन्य ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा की 109 सीटों के मुकाबले 114 सीटें मिली थीं। तब कांग्रेस ने एसपी और बीएसपी के साथ निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई थी, हालांकि अगले 15 महीने में ही कमलनाथ की सरकार गिर गई।
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