पूजा स्थल विशेष कानून : जिन नई याचिकाओं पर नोटिस जारी नहीं हुए थे, उन्हें SC ने किया खारिज

Last Updated 18 Feb 2025 06:39:59 AM IST

पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम पर कई याचिकाएं दायर होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि तीन न्यायाधीशों की पीठ 1991 के कानून से संबंधित लंबित नोटिस के बाद की याचिकाओं पर अप्रैल में सुनवाई करेगी।


उच्चतम न्यायालय

पूजा स्थल से संबंधित अधिनियम में किसी धार्मिक स्थान के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखने का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने हालांकि समाजवादी पार्टी (सपा) नेता और कैराना से सांसद इकरा चौधरी जैसे उन याचिकाकर्ताओं को नए कानूनी आधारों का हवाला देकर लंबित याचिकाओं में हस्तक्षेप के लिए आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की, जिन्होंने हाल में याचिकाएं दायर की हैं और इन पर नोटिस जारी नहीं किए गए हैं।  जिन नयी याचिकाओं पर अब तक नोटिस जारी नहीं किए गए थे, उन्हें खारिज करते हुए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘रिट याचिकाकर्ता नए आधारों को उठाते हुए (हस्तक्षेप) आवेदन दायर कर सकते हैं।’  

पीठ ने कहा, ‘हम दायर की गई नयी याचिकाओं की संख्या को देखते हुए यह आदेश पारित करने के लिए बाध्य हैं। लंबित रिट याचिकाएं (अगर कोई हो तो), जिन पर कोई नोटिस नहीं है, अतिरिक्त आधारों को उठाते हुए आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता के साथ खारिज की जाती हैं। नए ‘आईए’ (अंतरिम आवेदन) को केवल तभी अनुमति दी जाएगी जब कोई नयांिबदु या नया कानूनी मुद्दा हो, जो लंबित याचिकाओं में नहीं उठाया गया हो।’ इसके बाद पीठ ने 1991 के कानून से संबंधित याचिकाओं और अन्य याचिकाओं को एक अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। 

अदालत की कार्यवाही शुरू होने पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘लोग नयी याचिकाएं दायर करते रहते हैं और दावा करते हैं कि उन्होंने नए आधार उठाए हैं.. हमारे लिए पहले से दायर की गई याचिकाओं के अलावा अन्य याचिकाओं पर विचार करना असंभव हो जाएगा।’  वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ से सहमति जताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोई नयी याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।  पुराने याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता विकासंिसह ने याचिकाओं पर केंद्र द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने का मुद्दा उठाया और कहा कि इस उद्देश्य के लिए सरकार को अंतिम अवसर दिया जाना चाहिए।  इससे पहले सुबह शीर्ष अदालत ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की वैधता से संबंधित मामले में कई नयी याचिकाएं दायर किए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। 

पीठ ने यह भी संकेत दिया कि वह तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनी गई लंबित याचिकाओं पर आज सुनवाई नहीं कर सकती क्योंकि आज दो न्यायाधीशों की पीठ बैठी है। जब एक वादी की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने दिन में सुनवाई के लिए एक नयी याचिका का उल्लेख किया, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘हम शायद इस पर सुनवाई न कर पाएं।’   अदालत की कार्यवाही शुरू होने पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले का उल्लेख किया।  

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘याचिकाएं दायर करने की एक सीमा होती है। बहुत सारे आईए (अंतरिम आवेदन) दायर किए गए हैं.. हम शायद इस पर सुनवाई नहीं कर पाएं।’ उन्होंने कहा कि मार्च में एक तारीख दी जा सकती है।  शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर, 2024 के अपने आदेश के जरिए विभिन्नंिहदू पक्षों द्वारा दायर लगभग 18 मुकदमों में कार्यवाही को प्रभावी ढंग से रोक दिया, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद सहित 10 मस्जिदों के मूल धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए सव्रेक्षण का अनुरोध किया गया था। संभल की शाही जामा मस्जिद में झड़पों में चार लोग मारे गए थे।  इसके बाद न्यायालय ने सभी याचिकाओं को 17 फरवरी को प्रभावी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।  

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी नेता और कैराना की सांसद इकरा चौधरी तथा कांग्रेस पार्टी सहित अन्य ने 12 दिसंबर के बाद कई याचिकाएं दायर कीं, जिनमें 1991 के कानून के प्रभावी कार्यान्वयन का अनुरोध किया गया है। ंिहदू संगठन ‘अखिल भारतीय संत समिति’ ने 1991 के कानून के प्रावधानों की वैधता के खिलाफ दायर मामलों में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। इससे पहले पीठ छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल थी।

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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