नये रिश्तों की शुरुआत

Last Updated 22 Feb 2025 01:00:58 PM IST

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद वैश्विक स्तर पर नई शक्ति समीकरण बन रहे हैं।


नये रिश्तों की शुरुआत

सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अमेरिका और रूस के राजनीतिकों के बीच हुई वार्ता दो पूर्व शत्रु देश के दरम्यान मित्रता की नई शुरु आत के संकेत हैं। 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद पहली बार अमेरिका और रूस वार्ता की मेज पर आमने-सामने आए हैं। रूस के विदेश मंत्री सग्रेई लावरोव और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियों ने अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व किया।

वार्ता मुख्यत: दो बिंदुओं पर केंद्रित थी। एक, रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ति की दिशा में आगे कैसे बढ़ा जाए और दूसरे, अमेरिका और उसके बीच आर्थिक सहयोग के रास्ते तलाश जाएं। वार्ता में किसी तरह का प्रतिरोध पैदा नहीं हुआ और दोनों मुद्धों पर परस्पर सहमति के साथ आगे बढ़ने का संकेत भी मिला। आने वाले दिनों में अमेरिका और रूस के शीर्ष नेतृत्व के बीच मुलाकात की संभावना जताई जा रही है। राष्ट्रपति ट्रंप का रूस के संबंध में उठाया गया यह कदम अमेरिका की पुरानी नीति से एकदम अलग है।

ट्रंप के पूर्ववर्ती बाइडन प्रशासन का रणनीतिक लक्ष्य था कि रूस को सैनिक दृष्टि से कमजोर किया जाए। यह याद रखना चाहिए कि बाइडेन ने पुतिन को ‘हत्यारा तानाशाह’ कहा था और उसके खिलाफ यूक्रेन को भारी सैन्य और वित्तीय मदद पहुंचाई थी। अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। ट्रंप प्रशासन युद्ध के लिए यूक्रेन को दोषी ठहरा रहा है और उसे सुरक्षा गारंटी देने से भी इनकार कर दिया है। हैरत की बात यह है कि यूक्रेन को वार्ता की मेज पर बैठने की भी जगह नहीं दी गई है।

वास्तव में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की खुलकर ट्रंप का विरोध करने की स्थिति में नहीं है। हालांकि वह पर्दे के पीछे अमेरिका के खिलाफ यूरोपीय देशों की लामबंदी का प्रयास कर रहे हैं। अमेरिका के दबाव में यदि युद्ध विराम होता है तो यूक्रेन का करीब एक तिहाई हिस्सा रूस के अधिकार में होगा। यह यूक्रेन के लिए घाटे का सौदा होगा। दरअसल, ट्रंप रूस के साथ अस्थाई रिश्ता बनाना चाहते हैं। सोवियत संघ के विघटन के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई है।

ट्रंप रूस को प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं देखते। लेकिन अमेरिकी राजनीतिक हेनरी किसिंजर का यह चर्चित कथन था कि ‘अमेरिका के साथ दुश्मनी करना खतरनाक है, लेकिन दोस्ती करना जानलेवा है’। क्या पुतिन इस कथन को नजरअंदाज कर सकते हैं?



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