Mann Ki Baat : PM मोदी ने स्पेस सेक्टर में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों को सराहा, देश के पहले प्राइवेट स्पेसशिप का किया जिक्र

Last Updated 19 Jan 2025 12:50:34 PM IST

Mann Ki Baat : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के 118वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में बताया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा, "2025 की शुरुआत में ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। आज, मुझे ये बताते हुए गर्व है कि एक भारतीय स्पेस टेक स्टार्टअप, बेंगलुरू के 'पिक्सेल' ने भारत का पहला निजी सैटेलाइट कांस्टेलेशन – 'फायर-फ्लाई', सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। यह सैटेलाइट कांस्टेलेशन दुनिया का सबसे हाई-रिज़ॉल्यूशन हाइपर स्पेक्ट्रल सैटेलाइट कांस्टेलेशन है। इस उपलब्धि ने न केवल भारत को आधुनिक स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनाया है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। ये सफलता हमारे निजी स्पेस सेक्टर की बढ़ती ताकत और इनोवेशन का प्रतीक है। मैं इस उपलब्धि के लिए 'पिक्सेल' की टीम, इसरो, और इन-स्पेस को पूरे देश की ओर से बधाई देता हूं।"

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, "कुछ दिन पहले हमारे वैज्ञानिकों ने स्पेस सेक्टर में ही एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। हमारे वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट की स्पेस डॉकिंग कराई है। जब अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट कनेक्ट किए जाते हैं, तो इस प्रक्रिया को स्पेस डॉकिंग कहते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन तक सप्लाई भेजने और क्रू मिशन के लिए अहम है। भारत इसमें सफलता हासिल करने वाला चौथा देश बना।"

वैज्ञानिकों की दूरगामी सोच की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने और उन्हें जीवित रखने के प्रयास भी कर रहे हैं। इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने लोबिया के बीज को चुना। 30 दिसंबर को भेजे गए ये बीज अंतरिक्ष में ही अंकुरित हुए। ये एक बेहद प्रेरणादायक प्रयोग है जो भविष्य में स्पेस में सब्जियां उगाने का रास्ता खोलेगा। ये दिखाता है कि हमारे वैज्ञानिक कितनी दूर की सोच के साथ काम कर रहे हैं।"

पीएम मोदी ने अंतरिक्ष में मैन्युफैक्चरिंग की तकनीकों को लेकर भारत के वैज्ञानिकों, इनोवेटर्स और युवा उद्यमियों की तारीफ करते हुए कहा, "आईआईटी मद्रास का 'एक्सटेम' केंद्र अंतरिक्ष में मैन्युफैक्चरिंग के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है। ये केंद्र अंतरिक्ष में 3डी–प्रिंटेड बिल्डिंग, मेटल फोम्स और ऑप्टिकल फाइबर जैसे तकनीकों पर रिसर्च कर रहा है। ये सेंटर, बिना पानी के कंक्रीट निर्माण जैसी क्रांतिकारी विधियों को भी विकसित कर रहा है। 'एक्सटेम' की ये रिसर्च, भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के स्पेस स्टेशन को मजबूती देगी। इससे मैन्युफैक्चरिंग में आधुनिक टेक्नोलॉजी के भी नए रास्ते खुलेंगे। ये सभी उपलब्धियां इस बात का प्रमाण हैं कि भारत के वैज्ञानिक और इनोवेटर्स भविष्य की चुनौतियों का समाधान देने के लिए कितने विजनरी हैं। हमारा देश, आज, स्पेस टेक्नोलॉजी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। मैं भारत के वैज्ञानिकों, इनोवेटर्स और युवा उद्यमियों को पूरे देश की ओर से शुभकामनाएं देता हूं।"

असम के 'नौगांव'की कहानी, बताया कैसे 'हाथी बंधुओं' को वन्य प्राणियों ने दिया मान

इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक हाथी का भी जिक्र किया। वन्यप्राणी की ये कहानी असम के 'नौगांव' की थी। पीएम मोदी ने दिलचस्प हकीकत से सबको रूबरू कराया। एक अनूठी पहल का जिक्र किया जिसे वन्यप्राणियों ने भी खूब पसंद किया।

पीएम मोदी ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, आपने कई बार इंसानों और जानवरों के बीच गजब की दोस्ती की तस्वीरें देखी होंगी, आपने जानवरों की वफादारी की कहानियां सुनी होंगी। जानवर पालतू हों या जंगल में रहने वाले पशु, इंसानों से उनका नाता कई बार हैरान कर देता है। जानवर भले बोल नहीं पाते, लेकिन उनकी भावनाओं को, उनके हाव-भाव को इंसान भली-भांति भांप लेते हैं। जानवर भी प्यार की भाषा को समझते हैं, उसे निभाते भी हैं। मैं आपसे असम का एक उदाहरण साझा करना चाहता हूं।

असम में एक जगह है 'नौगांव'। नौगांव हमारे देश की महान विभूति श्रीमंत शंकरदेव जी का जन्म स्थान भी है। यह जगह बहुत ही सुंदर है। यहां हाथियों का भी एक बड़ा ठिकाना है। इस क्षेत्र में कई घटनाएं देखी जा रही थीं, जहां हाथियों के झुंड फसलों को बर्बाद कर देते थे और किसान परेशान रहते थे, जिससे आस-पास के करीब 100 गांवों के लोग बहुत परेशान थे, लेकिन गांववाले हाथियों की भी मजबूरी समझते थे।

उन्हें पता था कि हाथी भूख मिटाने के लिए खेतों का रुख कर रहे हैं, इसलिए गांववालों ने इसका समाधान निकालने की सोची। गांववालों की एक टीम बनी, जिसका नाम था 'हाथी बंधु'। हाथी बंधुओं ने सूझ-बूझ दिखाते हुए करीब 800 बीघा बंजर भूमि पर एक अनूठी कोशिश की। यहां गांववालों ने आपस में मिल-जुलकर नेपियर घास लगाई। इस घास को हाथी बहुत पसंद करते हैं। इसका असर यह हुआ कि हाथियों ने खेतों की ओर जाना कम कर दिया। यह हजारों गांववालों के लिए बहुत राहत की बात है। उनका यह प्रयास हाथियों को भी खूब भाया है।

पीएम मोदी ने कहा कि साथियों, हमारी संस्कृति और विरासत हमें आस-पास के पशु–पक्षियों के साथ प्यार से रहना सिखाती है। यह हम सभी के लिए बहुत खुशी की बात है कि बीते दो महीनों में हमारे देश में दो नए टाइगर रिजर्व जुड़े हैं। इनमें से एक है छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास–तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व और दूसरा एमपी में रातापानी टाइगर रिजर्व।

'पराक्रम दिवस' से पहले सुभाष चंद्र बोस को किया याद

प्रधानमंत्री  ने स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को भी याद किया। पीएम मोदी ने देशभर के युवाओं से सुभाष चंद्र बोस के बारे में अधिक से अधिक पढ़ने और उनसे प्रेरणा लेने का आग्रह किया।

स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "एक दृश्य की कल्पना कीजिए कि कोलकाता में जनवरी का समय है। दूसरा विश्व युद्ध अपने चरम पर है और इधर भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा उफान पर है। इसकी वजह से शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसवालों की तैनाती है। कोलकाता के बीचों–बीच एक घर के आस-पास पुलिस की मौजूदगी ज्यादा चौकस है। इसी बीच, लंबा भूरे रंग का कोट-पैंट और काली टोपी पहने हुए एक व्यक्ति रात के अंधेरे में एक बंगले से कार लेकर बाहर निकलता है। मजबूत सुरक्षा वाली कई चौकियों को पार करते हुए वह एक रेलवे स्टेशन गोमो पहुंच जाता है। (जो अब झारखंड में है) यहां से एक ट्रेन पकड़कर वह आगे के लिए निकलता है। इसके बाद अफगानिस्तान होते हुए, वह यूरोप जा पहुंचता है। और यह सब अंग्रेजी हुकूमत के अभेद किलेबंदी के बावजूद होता है। ये कहानी आपको फिल्मी सीन जैसी लगती होगी। इतनी हिम्मत दिखाने वाला व्यक्ति आखिर किस मिट्टी का बना होगा। दरअसल, यह व्यक्ति कोई और नहीं, हमारे देश की महान विभूति, नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे।"

उन्होंने आगे कहा, "23 जनवरी यानी सुभाष चंद्र बोस की जन्म-जयंती को हम ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है। कुछ साल पहले, मैं उनके उसी घर में गया था जहां से वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। उनकी वह कार अब भी वहां मौजूद है। वह अनुभव मेरे लिए बहुत ही विशेष रहा। सुभाष बाबू एक विजनरी थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था। इतना ही नहीं, वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे।"

सुभाष चंद्र बोस के जीवन से प्रेरणा लेने की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "महज 27 साल की उम्र में वह कोलकाता कॉर्पोरेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर बने और उसके बाद उन्होंने मेयर की जिम्मेदारी भी संभाली। एक प्रशासक के रूप में भी उन्होंने कई बड़े काम किए। बच्चों के लिए स्कूल, गरीब बच्चों के लिए दूध का इंतजाम और स्वच्छता से जुड़े उनके प्रयासों को आज भी याद किया जाता है। नेताजी सुभाष का रेडियो के साथ भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने ‘आजाद हिन्द रेडियो’ की स्थापना की थी, जिस पर उन्हें सुनने के लिए लोग बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। उनके संबोधनों से, विदेशी शासन के खिलाफ, लड़ाई को, एक नई ताकत मिलती थी। ‘आजाद हिन्द रेडियो’ पर अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू में न्यूज बुलेटिन का प्रसारण होता था। मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता हूं। देश-भर के युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक-से-अधिक पढ़ें और उनके जीवन से निरंतर प्रेरणा लें।"

विकसित भारत के संकल्प का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, " ‘मन की बात’ का यह कार्यक्रम, हर बार मुझे राष्ट्र के सामूहिक प्रयासों से, आप सब की सामूहिक इच्छाशक्ति से, जोड़ता है। हर महीने मुझे बड़ी संख्या में आपके सुझाव, आपके विचार मिलते हैं और हर बार इन विचारों को देखकर विकसित भारत के संकल्प पर मेरा विश्वास और बढ़ता है। आप सब इसी तरह अपने-अपने काम से भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए प्रयास करते रहें।"

स्वामी विवेकानंद को नमन

प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद को नमन किया और पीएम मोदी ने स्वामी विवेकानंद के पैशन और डेडिकेशन को प्रेरणास्पद बताया।  

उन्होंने कहा, "स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जिस व्यक्ति में अपने आइडिया को लेकर जुनून होता है, वही अपने लक्ष्य को हासिल कर पाता है। किसी आइडिया को सफल बनाने के लिए हमारा पैशन और डेडिकेशन सबसे जरूरी होता है। पूरी लगन और उत्साह से सफलता का रास्ता अवश्य निकलता है। कुछ दिन पहले ही स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर, मुझे 'विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग' का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। यहां मैंने देश के कोने-कोने से आए युवा साथियों के साथ अपना पूरा दिन बिताया। युवाओं ने स्टार्टअप, कल्चर, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कई क्षेत्रों को लेकर अपने विचार साझा किए। यह कार्यक्रम मेरे लिए बहुत यादगार रहा।"

पीएम मोदी ने आगे कहा, "कुछ दिन पहले ही स्टार्टअप इंडिया के नौ साल पूरे हुए हैं। हमारे देश में जितने स्टार्टअप नौ साल में बने हैं, उनमें से आधे से ज्यादा टियर 2 और टियर 3 शहरों से हैं। हमारा स्टार्टअप कल्चर बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि छोटे शहरों के स्टार्टअप में आधे से ज्यादा का नेतृत्व हमारी बेटियां कर रही हैं। जब यह सुनने को मिलता है कि अंबाला, हिसार, कांगड़ा, चेंगलपट्टु, बिलासपुर, ग्वालियर और वाशिम जैसे शहर स्टार्टअप के सेंटर बन रहे हैं तो मन आनंद से भर जाता है।"

इससे पहले पीएम मोदी ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। यह दिन इसलिए अहम है क्योंकि इस दिन भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई थी। हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में चुनाव आयोग को, लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी को बहुत बड़ा स्थान दिया है। देश में जब 1951-52 में पहली बार चुनाव हुए तो कुछ लोगों को संशय था कि क्या देश का लोकतंत्र जीवित रहेगा, लेकिन हमारे लोकतंत्र ने सारी आशंकाओं को गलत साबित किया। भारत लोकतंत्र की जननी है। बीते दशकों में भी देश का लोकतंत्र सशक्त और समृद्ध हुआ है। मैं चुनाव आयोग का धन्यवाद दूंगा, जिसने समय-समय पर हमारी मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाया और मजबूत किया है।

उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने जनशक्ति को और शक्ति देने के लिए तकनीक की शक्ति का उपयोग किया। मैं चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव कराने की उसकी प्रतिबद्धता के लिए बधाई देता हूं। मैं देशवासियों से कहूंगा कि वे ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में अपने मत के अधिकार का उपयोग करें और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनें। जनभागीदारी लोकतंत्र को सशक्त बनाएगी।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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