Mann Ki Baat 114th Episode: Mann Ki Baat में PM Modi ने रोजगार के नए अवसरों से युवाओं का कराया परिचय

Last Updated 29 Sep 2024 11:43:47 AM IST

Mann Ki Baat 114th Episode: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज 'मन की बात' कार्यक्रम के 114वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में युवाओं को क्रिएटिविटी के क्षेत्र में बढ़ रहे रोजगार से रूबरू करवाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि  बदलते हुए इस समय में कार्य की प्रकृति बदल रही हैं और नए-नए सेक्टर का उभार हो रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि गेमिंग, एनिमेशन, रील मेकिंग, फिल्म मेकिंग या पोस्ट मेकिंग में किसी स्किल में आप अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं तो आपके टैलेंट को बहुत बड़ा मंच मिल सकता है, अगर आप किसी बैंड से जुड़े हैं या फिर कम्युनिटी रेडियो के लिए काम करते हैं, तो भी आपके लिए बहुत बड़ा अवसर है। आपके टैलेंट और क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने “क्रिएट इन इंडिया’ इस थीम के तहत 25 चैलेंज शुरू किए हैं। ये चैलेंज आपको जरूर दिलचस्प लगेंगे।

पीएम मोदी ने आगे कहा, "कुछ चैलेंज तो म्यूजिक, एजुकेशन यहां तक कि एंटी पायरेसी पर भी केंद्रित हैं। इस आयोजन में कई सारे व्यावसायिक संगठन भी शामिल हैं, जो इन चैलेंज को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। देश-भर के क्रिएटर से मेरा विशेष आग्रह है कि वे इसमें जरूर हिस्सा लें और अपनी क्रिएटिविटी को सामने लाएं।"

पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया के 10 साल पूरे होने के अवसर भी बात की। उन्होंने कहा, इस अभियान की सफलता में, "देश के बड़े उद्योगों से लेकर छोटे दुकानदारों तक का योगदान शामिल है। मुझे ये देखकर बहुत खुशी मिलती है, कि गरीब, मध्यम वर्ग और एमएसएमई को इस अभियान से बहुत फायदा मिल रहा है। इस अभियान ने हर वर्ग के लोगों को अपना टैलेंट सामने लाने का अवसर दिया है। आज, भारत उत्पादन का पावर हाउस बना है और देश की युवा-शक्ति की वजह से दुनिया-भर की नजरें हम पर हैं। ऑटोमोबाइल हो, टेक्सटाइल हो, एविएशन हो, इलेक्ट्रॉनिक्स हो, या फिर डिफेंस। हर सेक्टर में देश का एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है। देश में एफडीआई का लगातार बढ़ना भी हमारे ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता की गाथा कह रहा है।"

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अब हम मुख्य रूप से दो चीजों पर फोकस कर रहे हैं। पहली है ‘क्वालिटी’ यानी, हमारे देश में बनी चीजें ग्लोबल स्टैंडर्ड की हों। दूसरी है ‘वोकल फॉर लोकल’ यानी, स्थानीय चीजों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले। ‘मन की बात’ में हमने 'माइ प्रोडक्ट माइ प्राइड' की भी चर्चा की है।

पीएम ने बताया कि लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने से देश के लोगों को फायदा होता है। इसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र के भंडारा जिले में टेक्सटाइल उद्योग का उदाहरण दिया। इनमें महिलाओं की बहुत बड़ी भागीदारी है। यह सिल्क तेजी से लोकप्रिय हो रही है और स्थानीय समुदायों को सशक्त बना रही है।

पीएम मोदी ने लोगों से मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा, आप लोग कुछ भी खरीदेंगे, वो,‘मेड इन इंडिया’, ही होना चाहिए, कुछ भी गिफ्ट देंगे, वो भी,‘ मेड इन इंडिया’ ही होना चाहिए। सिर्फ मिट्टी के दीये खरीदना ही ‘वोकल फॉर लोकल’ नहीं है। आपको, अपने क्षेत्र में बने स्थानीय उत्पादों को ज्यादा-से-ज्यादा प्रमोट करना चाहिए। ऐसा कोई भी प्रोडक्ट, जिसे बनाने में भारत के किसी कारीगर का पसीना लगा है, जो भारत की मिट्टी में बना है, वो हमारा गर्व है। हमें इसी गौरव पर हमेशा चार चांद लगाने हैं।

पीएम मोदी ने आने वाले त्योहारों के सीजन के अवसर पर देशवासियों को बधाई भी दी।

हर गांव में शुरू हो 'धन्यवाद प्रकृति' अभियान

इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित एक सीमावर्ती गांव 'झाला' का उल्लेख करते हुए वहां के युवाओं द्वारा किए जा रहे स्वच्छता अभियान की सराहना की।

पीएम मोदी ने कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक सीमावर्ती गांव है 'झाला'। यहां के युवाओं ने अपने गांव को स्वच्छ रखने के लिए एक विशेष पहल की है, जिसका नाम है ‘धन्यवाद प्रकृति’ या ‘थैंक यू नेचर’ अभियान। इसके अभियान के तहत गांव में रोजाना दो घंटे सफाई की जाती है। गांव की गलियों में बिखरे कूड़े को समेटकर, उसे गांव के बाहर तय स्थान पर डाला जाता है। इससे झाला गांव स्वच्छ हो रहा है और लोग जागरूक भी हो रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसे ही हर गांव और मोहल्ले में ‘थैंक यू’ अभियान शुरू किया जाए, तो कितना बड़ा परिवर्तन आ सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वच्छता को लेकर पुडुचेरी के समुद्र तट पर भी जबरदस्त मुहिम चलाई जा रही है | यहां रम्या जी नाम की महिला माहे क्षेत्र के समुद्र तटों को साफ-सुथरा बना रही हैं। मैंने यहां सिर्फ दो प्रयासों की चर्चा की है, लेकिन, हम आसपास देखें, तो पाएंगे कि देश के हर किसी हिस्से में स्वच्छता को लेकर कोई-ना-कोई अनोखा प्रयास जरूर चल रहा है | कुछ ही दिन बाद आने वाले 2 अक्टूबर को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के 10 साल पूरे हो रहे हैं। यह अवसर उन लोगों के अभिनंदन का है जिन्होंने इसे भारतीय इतिहास का इतना बड़ा जन-आंदोलन बना दिया। यह महात्मा गांधी जी को भी सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवनपर्यंत, इस उद्देश्य के लिए समर्पित रहे थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वच्छता को लेकर पुडुचेरी के समुद्र तट पर भी जबरदस्त मुहिम चलाई जा रही है | यहां रम्या जी नाम की महिला माहे क्षेत्र के समुद्र तटों को साफ-सुथरा बना रही हैं। मैंने यहां सिर्फ दो प्रयासों की चर्चा की है, लेकिन, हम आसपास देखें, तो पाएंगे कि देश के हर किसी हिस्से में स्वच्छता को लेकर कोई-ना-कोई अनोखा प्रयास जरूर चल रहा है | कुछ ही दिन बाद आने वाले 2अक्टूबर को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के 10साल पूरे हो रहे हैं | यह अवसर उन लोगों के अभिनंदन का है जिन्होंने इसे भारतीय इतिहास का इतना बड़ा जन-आंदोलन बना दिया | यह महात्मा गांधी जी को भी सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवनपर्यंत, इस उद्देश्य के लिए समर्पित रहे |

उन्होंने आगे कहा कि आज यह ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की ही सफलता है कि ‘वेस्ट टू वेल्थ’ का मंत्र लोगों में लोकप्रिय हो रहा है | लोग ‘रिड्यूस, रियूज और रिसाइकिल’ पर बात करने लगे हैं, उसके उदाहरण देने लगे हैं | अब जैसे मुझे केरला के कोझिकोड में एक शानदार प्रयास के बारे में पता चला | यहां 74 साल के सुब्रह्मण्यन जी 23 हजार से अधिक कुर्सियों की मरम्मत करके उन्हें दोबारा काम लायक बना चुके हैं। लोग तो उन्हें ‘रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकिल‘ (ट्रिपल आर) चैंपियन भी कहते हैं |

उनके इन अनूठे प्रयासों को कोझिकोड सिविल स्टेशन, पीडब्ल्यूडी और एलआईसी के दफ्तरों में देखा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि स्वच्छता को लेकर जारी अभियान से हमें ज्यादा-से- ज्यादा लोगों को जोड़ना है, और यह एक अभियान, किसी एक दिन का, एक साल का, नहीं होता है, यह युगों-युगों तक निरंतर करने वाला काम है। यह जब तक हमारा स्वभाव बन जाए ‘स्वच्छता’, तब तक करने का काम है। मेरा आप सबसे आग्रह है कि आप भी अपने परिवार, दोस्तों, पड़ोसियों या सहकर्मियों के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान में हिस्सा जरूर लें। मैं एक बार फिर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की सफलता पर आप सभी को बधाई देता हूं।

मातृ भाषा और पर्यावरण संरक्षण पर दिया जोर

PM Modi ने इस अवसर पर कई प्रेरणादायक उदाहरण साझा किए। उन्होंने कहा कि मातृ भाषा सीखने में सबसे आसान होती है और भारत में लगभग बीस हजार भाषाएं और बोलियां हैं। उन्होंने संथाली भाषा के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे प्रयासों की सराहना की, जिसमें ओडिशा के मयूरभंज के रामजीत टुडू का उल्लेख किया।

पीएम मोदी ने कहा कि अगर ये पूछा जाए कि कोई बच्चा कौन सी भाषा सबसे आसानी से और जल्दी सीखता है - तो आपका जवाब होगा 'मातृभाषा'। हमारे देश में लगभग बीस हजार भाषाएं और बोलियां हैं और ये सब की सब किसी न किसी की तो मातृभाषा ही हैं। कुछ भाषाएं ऐसी हैं जिनका उपयोग करने वालों की संख्या बहुत कम है, लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी, कि उन भाषाओं को संरक्षित करने के लिए आज अनोखे प्रयास हो रहे हैं। ऐसी ही एक भाषा है हमारी 'संथाली' भाषा। 'संथाली' को डिजिटल इनोवेशन की मदद से नई पहचान देने का अभियान शुरू किया गया है।

उन्होंने कहा कि 'संथाली', हमारे देश के कई राज्यों में रह रहे संथाल जनजातीय समुदाय के लोग बोलते हैं। भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में भी संथाली बोलने वाले आदिवासी समुदाय मौजूद हैं। संथाली भाषा की ऑनलाइन पहचान तैयार करने के लिए ओडिशा के मयूरभंज में रहने वाले रामजीत टुडु एक अभियान चला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रामजीत ने एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहां संथाली भाषा से जुड़े साहित्य को पढ़ा जा सकता है और संथाली भाषा में लिखा जा सकता है। दरअसल कुछ साल पहले जब रामजीत जी ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल शुरू किया तो वह इस बात से दुखी हुए कि वह अपनी मातृभाषा में संदेश नहीं दे सकते। इसके बाद वह ‘संथाली भाषा’ की लिपि ‘ओल चिकी’ को टाइप करने की संभावनाएं तलाश करने लगे। अपने कुछ साथियों की मदद से उन्होंने ‘ओल चिकी’ में टाईप करने की तकनीक विकसित कर ली। आज उनके प्रयासों से ‘संथाली’ भाषा में लिखे लेख लाखों लोगों तक पहुंच रहें हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान का भी जिक्र किया, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत विभिन्न राज्यों में करोड़ों पेड़ लगाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में 26 करोड़, गुजरात में 15 करोड़ और राजस्थान में केवल अगस्त महीने में 6 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं। देश के हजारों स्कूल भी इस अभियान में जोर-शोर से हिस्सा ले रहे हैं।

उन्होंने तेलंगाना के एक शख्स राजशेखर का उदाहरण दिया, जिन्होंने चार साल से रोजाना एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया है। पीएम मोदी ने कहा कि पेड़ लगाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता हम सब को हैरान कर देती है। करीब चार साल पहले उन्होंने पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की। उन्होंने तय किया कि हर रोज एक पेड़ जरूर लगाएगें। उन्होंने इस मुहिम का कठोर व्रत की तरह पालन किया। वह 1500 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस साल एक हादसे का शिकार होने के बाद भी वे अपने संकल्प से डिगे नहीं। मैं ऐसे सभी प्रयासों की हृदय से सराहना करता हूं। मेरा आपसे भी आग्रह है कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ इस पवित्र अभियान से आप जरूर जुड़ें।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु की सुबाश्री का भी उल्लेख किया, जिन्होंने अपने प्रयासों से औषधीय जड़ी-बूटियों का एक अद्भुत बगीचा तैयार किया है। सुबाश्री ने पारंपरिक औषधियों के प्रति अपने लगाव को आगे बढ़ाते हुए 500 से ज्यादा दुर्लभ औषधीय पौधों का बगीचा तैयार किया है। कोविड के दौरान उन्होंने इन पौधों की मदद से लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने में सहायता की।

अमेरिका से लौटी 300 कलाकृतियों की बताई खासियत

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  अपने अमेरिकी दौरे का जिक्र किया। उन्होंने प्राचीन कलाकृतियों के बारे में भी बताया जिन्हें पीएम को राष्ट्रपति बाइडेन ने बड़े प्यार से सौंपा था।  

प्रधानमंत्री ने कहा, हम सभी को अपनी विरासत पर बहुत गर्व है और मैं तो हमेशा कहता हूं ‘विकास भी-विरासत भी’।

उन्होंने आगे कहा, अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने भारत को करीब 300 प्राचीन कलाकृतियों को लौटाया।

पीएम ने बाइडेन के स्वागत सत्कार की प्रशंसा करते हुए कहा, अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने पूरा अपनापन दिखाते हुए डेलावेयर के अपने निजी आवास में इनमें से कुछ कलाकृतियों को मुझे दिखाया। पीएम मोदी ने कहा, लौटाई गईं कलाकृतियां में टेराकोटा, स्टोन हाथी के दांत, लकड़ी, तांबा और कांसे जैसी चीजों से बनी हुई हैं। इनमें से कई तो चार हजार साल पुरानी हैं। चार हजार साल पुरानी कलाकृतियों से लेकर 19वीं सदी तक की कलाकृतियों को अमेरिका ने वापस किया है। इनमें फूलदान, देवी-देवताओं की टेराकोटा पट्टिकाएं, जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के अलावा भगवान बुद्ध और भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियां भी शामिल हैं। लौटाई गईं चीजों में पशुओं की कई आकृतियां भी हैं पुरुष और महिलाओं की आकृतियों वाली जम्मू-कश्मीर की टेराकोटा टाइलें तो बेहद ही दिलचस्प हैं।

इनमें कांसे से बनी भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमाएं भी हैं, जो, दक्षिण भारत की हैं। वापस की गई चीजों में बड़ी संख्या में भगवान विष्णु की तस्वीरें भी हैं। ये मुख्य रूप से उत्तर और दक्षिण भारत से जुड़ी हैं। इन कलाकृतियों को देखकर पता चलता है कि हमारे पूर्वज बारीकियों का कितना ध्यान रखते थे।

कला को लेकर उनमें गजब की सूझ-बूझ थी। इनमें से बहुत सी कलाकृतियों को तस्करी और दूसरे अवैध तरीकों से देश के बाहर ले जाया गया था। यह गंभीर अपराध है, एक तरह से यह अपनी विरासत को खत्म करने जैसा है, लेकिन मुझे इस बात की बहुत खुशी है, कि पिछले एक दशक में, ऐसी कई कलाकृतियां, और हमारी बहुत सारी प्राचीन धरोहरों की, घर वापसी हुई है। इस दिशा में, आज, भारत कई देशों के साथ मिलकर काम भी कर रहा है। मुझे विश्वास है जब हम अपनी विरासत पर गर्व करते हैं तो दुनिया भी उसका सम्मान करती है, और उसी का नतीजा है कि आज विश्व के कई देश हमारे यहां से गई हुई ऐसी कलाकृतियों को हमें वापस दे रहे हैं।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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